यमन में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स, भारत सरकार क्या कर रही है?

Nimisha Priya Case: केरल की रहने वाली 37 वर्षीय भारतीय नर्स Nimisha Priya की जिंदगी अब मौत की एक कड़ी सजा के मुहाने पर खड़ी है। Yemen Court ने उन्हें 16 जुलाई 2025 को फांसी देने का आदेश जारी कर दिया है। पिछले 7 सालों से सना की सेंट्रल जेल में बंद निमिषा को लेकर भारत में Save Nimisha Priya Campaign, Crowdfunding, और Diplomatic Intervention की अपीलें जोरों पर हैं।

एक नर्स का सपना जो मौत के मुहाने पहुंच गया

Nimisha Priya का सपना था कि वो यमन में एक क्लिनिक खोलें और मेडिकल फील्ड में अपनी पहचान बनाएं। केरल के पलक्कड़ जिले से आने वाली निमिषा एक Trained Nurse हैं, जिन्होंने 2011 में यमन में एक निजी अस्पताल में नौकरी शुरू की। वहीं से शुरू हुआ एक ऐसा संघर्ष, जो अब Capital Punishment in Yemen की दिशा में बढ़ चुका है।

क्लिनिक खोलने के लिए की थी साझेदारी, बन गया धोखे का जाल

2014 में यमन के एक नागरिक Talal Abdo Mahdi से निमिषा की मुलाकात हुई। यमन के नियमों के अनुसार, किसी विदेशी को बिजनेस शुरू करने के लिए किसी स्थानीय नागरिक की पार्टनरशिप जरूरी होती है। Nimisha ने तालाल को 6 लाख यमनी रियाल दिए — पर यही शुरुआत थी एक खतरनाक मोड़ की।

तालाल ने न सिर्फ निमिषा का Passport जब्त कर लिया, बल्कि एक Fake Marriage Certificate बनवाकर कोर्ट में पेश कर दिया और खुद को क्लिनिक का अकेला मालिक घोषित कर दिया। निमिषा के विरोध के बावजूद यमन की स्थानीय व्यवस्था में उन्हें न्याय नहीं मिला।

हत्या का आरोप, शरीर के टुकड़े कर फेंका गया शव

2017 में पासपोर्ट वापस लेने की कोशिश के दौरान निमिषा ने तालाल को नींद की दवा का इंजेक्शन दिया जिससे उसकी मौत हो गई। फिर एक अन्य नर्स की मदद से शव को टुकड़ों में काटकर टंकी में फेंक दिया गया। जल्द ही यमन पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया और Murder in Yemen by Indian Nurse का मामला अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छा गया।

तीन बार सुनाई गई फांसी, अब अंतिम मौका बचा

2020 में यमन की अदालत ने निमिषा को तीन बार Death Sentence सुनाया। एक सजा खारिज हो चुकी है, लेकिन दो अब भी बरकरार हैं। इस साल जनवरी में Houthi सरकार ने फांसी को मंजूरी दी और 16 जुलाई 2025 की तारीख तय कर दी गई।

ब्लड मनी ही आखिरी रास्ता

यमन की शरीयत आधारित कानूनी प्रणाली में Qisas Law के तहत फांसी से बचने का एक ही तरीका है – मृतक के परिवार से माफी और Blood Money का भुगतान। Nimisha की मां प्रेमा कुमारी ने अब तक ₹8.3 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जो Mahdi के परिवार को देने की पेशकश की गई है। लेकिन अभी तक कोई औपचारिक सहमति नहीं बन पाई है।

बेटी मिशेल का इंतजार, मां की गुहार

Nimisha की 12 वर्षीय बेटी मिशेल इस समय केरल के कोठमंगलम में एक छात्रावास में रह रही हैं। मां यमन में हैं, बेटी भारत में – दोनों को उम्मीद है कि किसी तरह यह Execution in Yemen टल जाए। मिशेल के पिता टॉमी थॉमस और परिवार भारत सरकार से लगातार Diplomatic Intervention for Indian Citizens Abroad की मांग कर रहे हैं।

भारत सरकार की भूमिका और सुप्रीम कोर्ट की नजर

अब तक भारत सरकार की ओर से कोई निर्णायक कार्रवाई सामने नहीं आई है। हालांकि, Supreme Court of India ने इस मामले में सुनवाई के लिए 14 जुलाई 2025 की तारीख तय की है और केंद्र सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा है।

क्या बच पाएगी Nimisha की जान?

अब सब कुछ निर्भर करता है:

  • क्या Mahdi का परिवार माफी देगा?

  • क्या भारत सरकार निर्णायक कदम उठाएगी?

  • क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाया जाएगा?

अगर कोई हल नहीं निकला, तो 16 जुलाई को निमिषा को फांसी की सजा दी जा सकती है। एक नर्स का सपना, जो किसी समाजसेवी की तरह चिकित्सा सेवा देना चाहती थी, अब अंतरराष्ट्रीय राजनीति और धार्मिक कानूनों के बीच सिसक रहा है।