“Shahi Idgah Masjid पर आ सकता है बड़ा फैसला, मथुरा में बढ़ी हलचल”

Shri Krishna Janmbhoomi और Shahi Idgah Masjid विवाद से जुड़ा एक अहम मोड़ आज आ सकता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की खंडपीठ ने इस मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया था, जो 4 जुलाई को सुनाया जा सकता है। हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ घोषित किए जाने की मांग की है।

क्या है मथुरा विवाद?

यह विवाद भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि से सटे शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर है। हिंदू पक्ष का दावा है कि जिस स्थान पर यह मस्जिद स्थित है, वहां मूल रूप से प्राचीन केशवदेव मंदिर था, जिसे मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर तोड़ दिया गया और वहां मस्जिद बनाई गई।

हिंदू पक्ष की प्रमुख दलीलें

वादकार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने कोर्ट में ऐतिहासिक दस्तावेज़ों और पुस्तकों जैसे मासरे आलमगिरी और तत्कालीन कलेक्टर एफएस ग्राउस की रिपोर्ट्स का हवाला दिया। उन्होंने कोर्ट में कहा:

  • मस्जिद के खसरा-खतौनी या नगर निगम में कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है।

  • वहां आज भी हिंदू देवी-देवताओं के प्रतीक चिह्न मौजूद हैं।

  • बिजली चोरी के मामले भी शाही ईदगाह प्रबंधन समिति के खिलाफ दर्ज हो चुके हैं।

  • मस्जिद पक्ष कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर पाया कि यह स्थान वैध रूप से मस्जिद के रूप में दर्ज है।

अयोध्या के बाबरी मस्जिद केस से तुलना

महेंद्र प्रताप सिंह ने दलील दी कि यह मामला अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद जैसा है। जैसे सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा माना था, वैसे ही शाही ईदगाह को भी घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जबरन किसी की ज़मीन पर कब्ज़ा कर लेने से वह वैध नहीं हो जाती।

विदेशी यात्रियों और इतिहासकारों के भी साक्ष्य

हिंदू पक्ष ने बताया कि जितने भी विदेशी यात्री इतिहास में मथुरा आए — चाहे वह मुगल काल हो या ब्रिटिश काल — सभी ने इस स्थान को भगवान कृष्ण का मंदिर ही बताया। किसी ने भी मस्जिद का उल्लेख नहीं किया।

मुस्लिम पक्ष की आपत्ति

मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दाखिल कर, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास द्वारा निकाली जा रही हिंदू चेतना यात्राओं पर आपत्ति जताई है। अदालत में इस पर जवाब भी दाखिल किया जा चुका है।

क्या होगा असर?

अगर हाईकोर्ट शाही ईदगाह को ‘विवादित ढांचा’ घोषित करता है, तो यह मामला भी बाबरी मस्जिद केस की तर्ज पर एक राष्ट्रीय धार्मिक और संवैधानिक मुद्दा बन सकता है। साथ ही ASI Survey या सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचने की संभावना भी बढ़ सकती है।

मथुरा का फैसला बदल सकता है धार्मिक भूगोल

Shahi Idgah Masjid case में आज का दिन बेहद निर्णायक हो सकता है। इस फैसले से न सिर्फ मथुरा बल्कि पूरे देश की धार्मिक राजनीति में एक नई चर्चा शुरू हो सकती है। सभी की निगाहें आज हाईकोर्ट पर टिकी हैं।