Justice Wanchoo: वो Chief Justice जिनके पास Law की डिग्री नहीं थी, जानें कैसे पहुंचे सुप्रीम कोर्ट की कुर्सी तक
भारत के Chief Justice of India (CJI) संजीव खन्ना को लेकर हाल में दिए गए बयानों के बीच अब BJP सांसद निशिकांत दुबे ने देश के 10वें CJI, Justice Kailash Nath Wanchoo का जिक्र कर सभी का ध्यान खींचा है। सांसद दुबे ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर दावा किया कि जस्टिस वांचू के पास कानून की डिग्री (Law Degree) नहीं थी, फिर भी वह देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचे थे।
दुबे ने अपने पोस्ट में लिखा:
“क्या आपको पता है कि 1967-68 में भारत के Chief Justice Kailash Nath Wanchoo जी ने क़ानून की कोई पढ़ाई नहीं की थी?”
इस बयान ने सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है।
जस्टिस कैलाशनाथ वांचू: कौन थे वो?
Justice Wanchoo का जन्म 1903 में मध्य प्रदेश में हुआ था। वह अपने परिवार में पहले व्यक्ति थे जिन्होंने न्यायपालिका (Judiciary) में कदम रखा। उन्होंने Indian Civil Services (ICS) की परीक्षा 1924 में पास की और ट्रेनिंग के लिए ब्रिटेन भेजे गए।
ट्रेनिंग के दौरान उन्हें Criminal Law और प्रशासनिक कार्यों की गहन जानकारी दी गई थी। इसके बाद उन्होंने 1926 में United Provinces (अब उत्तर प्रदेश) में Assistant Magistrate के तौर पर सेवा शुरू की। वे आगे चलकर रायबरेली के District Judge और फिर कलेक्टर के रूप में भी कार्यरत रहे।
कानून की पढ़ाई नहीं, फिर भी न्यायपालिका में शानदार करियर
भले ही Justice Wanchoo के पास पारंपरिक कानून की डिग्री नहीं थी, लेकिन उन्होंने अपने कार्यकाल में गहरी समझ और न्यायिक दक्षता का परिचय दिया। 1947 में वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के कार्यकारी न्यायाधीश (Acting Judge) बने और 1956 में उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट के Chief Justice के रूप में नियुक्त किया गया।
ऐसे बने भारत के 10वें Chief Justice
11 अप्रैल 1967 को, तत्कालीन CJI के. सुब्बाराव ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए इस्तीफा दे दिया। इसके बाद Justice Wanchoo को भारत का 10वां Chief Justice of India नियुक्त किया गया।
उन्होंने 24 अप्रैल 1967 को पदभार ग्रहण किया और लगभग 10 महीनों तक इस पद पर बने रहे। 24 फरवरी 1968 को उन्होंने रिटायरमेंट लिया। इस दौरान उन्होंने 355 निर्णय (Judgments) सुनाए, जो उनकी न्यायिक क्षमता को दर्शाता है।
रिटायरमेंट के बाद क्या हुआ?
Justice Wanchoo के बाद Justice Mohammad Hidayatullah ने CJI का पद संभाला। वांचू की कहानी आज इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि यह बताती है कि ज्ञान और अनुभव, पारंपरिक डिग्रियों से कहीं आगे हो सकते हैं।
फिर क्यों हो रही है चर्चा?
Nishikant Dubey द्वारा Justice Wanchoo का नाम हाल में इसलिए उठाया गया क्योंकि उन्होंने CJI संजीव खन्ना को लेकर भी विवादास्पद टिप्पणी की थी, जिसमें ‘गृह युद्ध’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया। Justice Wanchoo की मिसाल देकर दुबे शायद यह संकेत देना चाहते हैं कि भारत के न्यायिक इतिहास में कई ऐसे उदाहरण रहे हैं जहां पारंपरिक योग्यताओं से हटकर भी लोग उच्च पदों पर पहुंचे हैं।