Court के डर से टूटी दबंगई, छांगुर की कोठी पर चला प्रशासन का बुलडोजर

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में Jamaluddin alias Changur का दबदबा किसी माफिया नेटवर्क से कम नहीं था। उसके आगे Kotwal, CO, SDM जैसे अफसर भी बेबस नजर आते थे। छांगुर की दबंगई ऐसी थी कि STF (Special Task Force) के कई नोटिस तक उसने ठुकरा दिए और पूछताछ से साफ इनकार कर दिया।

जब एसटीएफ ने दबाव बढ़ाया, तब जाकर उसने कोर्ट की शरण ली और कोर्ट के आदेश पर ही एसटीएफ को उसके bungalow (कोठी) में पूछताछ के लिए जाना पड़ा। लेकिन यहां भी छांगुर ने चालाकी दिखाई — पूछताछ वाले कमरे में CCTV Cameras पहले से लगे थे और उसका वकील पहले से वहां मौजूद था।

तालाब की जमीन पर अवैध कब्जा, प्रशासन रहा खामोश

Illegal land encroachment की जांच के दौरान यह सामने आया कि छांगुर की आलीशान कोठी का एक बड़ा हिस्सा सरकारी तालाब की जमीन पर बना हुआ था। STF ने इस संबंध में बलरामपुर प्रशासन को पत्र लिखकर जानकारी मांगी, लेकिन Utraula Tehsil से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।

ना ही कोई written communication, ना ही किसी प्रशासनिक अधिकारी ने पूछताछ में भाग लिया। लेकिन जैसे ही शासन सख्त हुआ, कोठी के encroached हिस्से को तोड़ना पड़ा।

कोतवाल पर 20 लाख की डील का आरोप, लेकिन जांच रुकी क्यों?

STF की surveillance recordings में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ — जांच के दौरान छांगुर और उसके साथियों की कॉल रिकॉर्डिंग से यह बात सामने आई कि एक तत्कालीन कोतवाल ने ₹20 लाख की रिश्वत ली थी।

हालांकि, जब तक इस पर कार्रवाई आगे बढ़ती, अचानक investigation रोक दी गई। सूत्रों का कहना है कि जांच पूरी हो चुकी है और अब जल्द ही उस पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई हो सकती है।

पुलिस मुख्यालय से फटकार, तब जाकर दर्ज हुई FIR

STF ने अपनी जांच रिपोर्ट ATS (Anti-Terrorism Squad) को सौंप दी थी, लेकिन उतरौला पहुंची एक सब इंस्पेक्टर की टीम की कार्यशैली पर सवाल उठे। जांच धीमी होने लगी तो एक ADG स्तर के अधिकारी ने एसआई और एएसपी को लखनऊ मुख्यालय तलब किया और कड़ी फटकार लगाई।

इसके बाद ही, 16 नवंबर 2024 को आखिरकार एफआईआर दर्ज की गई। ATS ने STF इंस्पेक्टर Santosh Singh की रिपोर्ट को आधार बनाकर यह केस फाइल किया।