Project FUEL: A village youth changed the definition of education
जब ज्यादातर युवा करियर और रोजगार की उलझनों में फंसे होते हैं, तब उत्तराखंड के टिहरी के एक युवक ने दुनिया को जीवन जीने की कला (Life Lessons) सिखाने का बीड़ा उठाया। दीपक रमोला, एक ऐसा नाम जो अब Stanford University तक अपनी पहचान बना चुका है और जिसका सफर छोटे से गांव कोट (टिहरी) से शुरू होकर अमेरिका की यूनिवर्सिटियों तक पहुंचा है।
17 की उम्र में शुरू किया Project FUEL
दीपक ने 17 साल की उम्र में ‘Project FUEL’ की शुरुआत की। इस संस्था का मकसद था – लोगों के जीवन अनुभवों को इकट्ठा करके उन्हें शिक्षा और सामाजिक बदलाव के माध्यम से आगे बढ़ाना। अब तक दीपक 4 लाख से ज्यादा लोगों के अनुभवों को एकत्र कर चुके हैं और दुनिया भर में Life Education के क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं।
🏫 Life Design पढ़ाते हैं Stanford में
दीपक Stanford University (California) में Life Design विषय पढ़ाते हैं, और इससे पहले वे MIT, USA में भी अध्यापन कर चुके हैं।
Life Design क्या है?
यह एक ऐसा विषय है, जिसमें हम दूसरों के जीवन अनुभवों से सीखकर अपना नजरिया बदल सकते हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
शिक्षा नवाचार में टॉप 100 में शामिल
दीपक की क्लासरूम आधारित Life Lessons methodology को दुनिया के टॉप 100 शैक्षिक नवाचारों में जगह मिली है। पांच महाद्वीपों में इसे अपनाया गया है। वे पिछले 15 वर्षों से लेखन, शिक्षा और सांस्कृतिक इतिहास पर भी कार्य कर रहे हैं।
लेखक भी कमाल के: साहित्य अकादमी नामांकन तक
दीपक तीन किताबें लिख चुके हैं, जिनमें उनकी चर्चित किताब ‘कारवां का शौक है’ को साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। उन्हें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में भी सम्मानित किया गया।
गांव लौटने की मुहिम: Reverse Migration in Uttarakhand
दीपक सिर्फ शहरी मंचों तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने टिहरी के सौड़ और बागेश्वर के खाती गांव में रिवर्स पलायन की पहल की। गांवों की दीवारों पर आर्ट वर्क, कला कार्यशालाएं, और स्थानीय युवाओं की भागीदारी से इन गांवों को Tourism Spot में बदलने का प्रयास किया।
उनकी इस पहल के बाद कई लोग पुश्तैनी घरों की मरम्मत कर वापस गांव लौटे हैं – यह पहाड़ के लिए एक सकारात्मक संकेत है।