Mathura Krishna Janmabhoomi Dispute: हाईकोर्ट से हिंदू पक्ष को झटका, मस्जिद को विवादित ढांचा मानने से इनकार

Mathura Krishna Janmabhoomi-Shahi Eidgah dispute में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें Shahi Eidgah Mosque को विवादित ढांचा (disputed structure) घोषित करने की मांग की गई थी। कोर्ट के इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

कोर्ट ने क्या कहा?

हाईकोर्ट की सिंगल बेंच जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वर्तमान में उपलब्ध तथ्यों के आधार पर Shahi Eidgah को विवादित ढांचा घोषित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब इस मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त 2025 को होगी।

याचिका में क्या कहा गया था?

हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल की गई इस याचिका में दावा किया गया था कि Shahi Eidgah Mosque का निर्माण श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर स्थित प्राचीन मंदिर को ध्वस्त करके किया गया था। हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि यह याचिका 5 मार्च 2025 को दाखिल की गई थी। याचिका पर 23 मई को बहस पूरी हो चुकी थी और कोर्ट ने आज यानी 4 जुलाई को अपना फैसला सुना दिया

हिंदू पक्ष की दलीलें

हिंदू याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में यह कहा कि:

  • ईदगाह मस्जिद बनने से पहले वहां प्राचीन श्रीकृष्ण मंदिर था।

  • मुस्लिम पक्ष आज तक यह प्रमाण नहीं दे सका है कि वहां पहले से मस्जिद थी।

  • जिस तरह Babri Masjid को कोर्ट ने फैसला सुनाने से पहले disputed structure घोषित किया था, उसी तरह Shahi Eidgah को भी माना जाए।

विवाद की पृष्ठभूमि

यह विवाद कटरा केशव देव क्षेत्र की 13.37 एकड़ जमीन से जुड़ा है, जिसमें मंदिर और मस्जिद दोनों मौजूद हैं। जानकारी के मुताबिक:

  • लगभग 11 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थित है।

  • बाकी हिस्से पर Shahi Eidgah Mosque मौजूद है।

हिंदू पक्ष का दावा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने 1670 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बना मंदिर तुड़वाकर वहां शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई थी। मुस्लिम पक्ष इस दावे को सिरे से खारिज करता रहा है और कहता है कि यह मस्जिद वैध रूप से स्थापित है।

अब आगे क्या?

हालांकि हाईकोर्ट ने फिलहाल मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने से इनकार किया है, लेकिन यह अंतिम निर्णय नहीं है। अब सभी की निगाहें 2 अगस्त 2025 को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं। इस मामले में आने वाले समय में Constitutional Law, Religious Sentiment और Archaeological Evidence की भूमिका अहम हो सकती है।