नई दिल्ली – जून 2025 में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) घटकर 2.10% पर आ गई है, जो पिछले 6 वर्षों का सबसे निचला स्तर है। सोमवार को सरकारी आंकड़े जारी किए गए, जिसमें यह संकेत मिला कि खाद्य वस्तुओं, ईंधन और ऊर्जा की कीमतों में गिरावट ने आम जनता को बड़ी राहत दी है।
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में 20 महीने में पहली बार Deflation
खुदरा महंगाई में गिरावट के साथ ही थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index – WPI) में भी 20 महीनों में पहली बार अपस्फीति (Deflation) दर्ज की गई है।
इसका सीधा संबंध खाद्य, पेट्रोलियम और एनर्जी सेक्टर की कीमतों में गिरावट से है।
खाद्य वस्तुएं और ईंधन बने मुख्य कारण
आंकड़ों के मुताबिक:
Food Inflation में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है।
Vegetables, Cereals, Cooking Oil, और Fuel की कीमतों में काफी गिरावट दर्ज की गई।
Core Inflation भी सीमित रहा, जिससे महंगाई पर दबाव कम हुआ।
आर्थिक विश्लेषकों की राय
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि:
कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में नरमी
बेहतर मानसून से खाद्य उत्पादन में बढ़ोतरी
सरकार द्वारा लॉजिस्टिक सुधारों और स्टॉक मैनेजमेंट ने महंगाई को नियंत्रित रखने में बड़ी भूमिका निभाई।
क्या होगा आम जनता पर असर?
खाद्य सामग्री और दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतें स्थिर रहने से खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी।
मिडल क्लास और लोअर इनकम ग्रुप के लिए राहत की बात है।
रिज़र्व बैंक (RBI) पर भी interest rate में बदलाव के लिए दबाव घटेगा।