सिर्फ 3 हजार रुपये के विवाद में बेटी ने लगाया रेप का आरोप, कोर्ट ने बरी किया

उत्तराखंड के रानीखेत में एक बेगुनाह पिता को झूठे रेप केस में लगभग दो साल जेल की हवा खानी पड़ी, वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने अपनी सौतेली बेटी को डांट दिया था।

कोर्ट ने साफ कहा कि आरोप झूठे, मनगढ़ंत और व्यक्तिगत रंजिश पर आधारित थे। विशेष न्यायाधीश पोक्सो श्रीकांत पाण्डेय की अदालत ने सौतेले पिता को POCSO एक्ट, धारा 376, 506, 323 जैसी संगीन धाराओं से दोषमुक्त करार दिया।

 क्या था पूरा मामला?

जून 2023 में 17 वर्षीय किशोरी ने रानीखेत कोतवाली में तहरीर दी थी कि उसके सौतेले पिता ने उसके साथ दुष्कर्म किया।

लड़की का आरोप था कि दादी के झगड़े के बाद जब वह घर से बाहर गईं, तब पिता ने रेप किया।

शिकायत में यह भी जोड़ा गया कि शिकायत करने पर पिता ने मारपीट और जान से मारने की धमकी भी दी।

पुलिस ने तत्काल POCSO एक्ट सहित गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर आरोपी को जेल भेज दिया।

 जांच में क्या सामने आया?

 विरोधाभासों से भरी FIR:
164 के बयान, मूल तहरीर और गवाहों की गवाही में कई विरोधाभास पाए गए।

पीड़िता ने खुद कोर्ट में बताया कि घटना के वक्त घर के सभी सदस्य मौजूद थे, लेकिन किसी ने ऐसी कोई घटना न होने की बात कही।

 मेडिकल रिपोर्ट ने भी खोली पोल:

UPT (प्रेगनेंसी) टेस्ट निगेटिव आया।

लैब रिपोर्ट में भी किसी प्रकार के शारीरिक संबंध या हिंसा के सबूत नहीं मिले।

 परिवार ने किया खुलासा:

सगी मां, सौतेली मां, सौतेली बहन और भाईयों ने कोर्ट में गवाही दी कि कोई दुष्कर्म नहीं हुआ था।

विवाद की असली वजह बना था 3,000 रुपये का लेनदेन, जिसे लड़की ने सिलाई के काम से कमाया था।

 कोर्ट का फैसला: “झूठा केस, निर्दोष व्यक्ति को जेल भेजा गया”

विशेष न्यायाधीश श्रीकांत पांडेय ने कहा कि:

“यह मामला न केवल न्याय व्यवस्था के दुरुपयोग का उदाहरण है, बल्कि एक निर्दोष व्यक्ति को करीब दो साल तक अनावश्यक कैद में रखने की पीड़ा को भी दर्शाता है।”

 ये सिर्फ एक मामला नहीं है…

False rape accusations in India की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे केस समाज और न्यायिक व्यवस्था, दोनों के लिए चेतावनी हैं।