CDS's big statement on Drone Warfare: 'Use of drones is revolutionary', lesson learned from Operation Sindoor
Chief of Defence Staff (CDS) जनरल अनिल चौहान ने बुधवार को Operation Sindoor को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि 10 मई को पाकिस्तान द्वारा ऑपरेशन के दौरान भेजे गए drones और ammunition भारतीय military और civilian infrastructure को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सके।
जनरल चौहान के अनुसार,
“ज्यादातर ड्रोन को निष्क्रिय कर दिया गया और कुछ तो लगभग सही सलामत हाल में बरामद भी हुए। ये घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्यों हमें indigenously developed Counter-UAS systems पर अधिक जोर देना चाहिए।”
🛰️ Drone Warfare: विकास या क्रांति?
CDS चौहान ने drone technology in warfare पर बात करते हुए कहा:
“क्या ड्रोन युद्ध के स्वरूप में evolutionary change ला रहे हैं या revolutionary?
मेरा मानना है कि यह विकास की दिशा में क्रांतिकारी बदलाव है। जैसे-जैसे drone deployment और range बढ़ रही है, सेना उनका उपयोग बेहद प्रभावी ढंग से कर रही है।”
उन्होंने ये भी कहा कि आधुनिक युद्ध के परिप्रेक्ष्य में ड्रोन की भूमिका game-changer साबित हो रही है।
Indigenous Defence Systems की दिशा में बड़ा कदम
CDS चौहान ने यह बयान Manekshaw Centre में आयोजित एक exhibition and workshop के दौरान दिया, जिसका उद्देश्य था – imported defence technologies की जगह स्वदेशी विकल्प को बढ़ावा देना।
इस प्रदर्शनी का आयोजन Integrated Defence Staff (HQ IDS) और Centre for Joint Warfare Studies (CENJOWS) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था।
इसका फोकस था:
UAV और C-UAS क्षेत्रों में indigenization
Critical defence equipment का Make in India समाधान
Private sector को defence research and production में जोड़ना
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में रणनीतिक प्रयास
CDS ने कहा कि रक्षा के क्षेत्र में self-reliance सिर्फ विकल्प नहीं, बल्कि रणनीतिक आवश्यकता है।
“हमें national security के लिए अपने Indigenous Systems पर विश्वास और निवेश करना होगा।”
Defence Sector Indigenization के जरिए भारत न सिर्फ तकनीकी रूप से मजबूत होगा, बल्कि भविष्य में किसी भी बाहरी हमले से पहले से बेहतर तरीके से निपटने में सक्षम भी रहेगा।
Operation Sindoor ने एक बार फिर साबित किया कि भारत अब सिर्फ प्रतिक्रियात्मक नहीं, बल्कि स्ट्रैटेजिकली प्रैक्टिकल और तकनीकी रूप से तैयार है।
CDS अनिल चौहान के मुताबिक, भविष्य की रक्षा चुनौतियों का सामना स्वदेशी तकनीक और स्थानीय निर्माण के जरिए ही संभव होगा। भारत अब न केवल सुरक्षा में आत्मनिर्भर हो रहा है, बल्कि defence tech innovation में भी अपनी सशक्त मौजूदगी दर्ज करवा रहा है।