वक्फ संशोधन विधेयक 2025: संसद सत्र में पेश, अमित शाह का बड़ा ऐलान
क्या वक्फ विधेयक से बदल जाएगा कानून? जानें पूरी जानकारी
वक्फ संपत्तियों पर सरकार का बड़ा कदम, विपक्ष ने उठाए सवाल
वक्फ कानून में संशोधन से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि वक्फ संशोधन विधेयक 2025 संसद के मौजूदा सत्र में पेश किया जाएगा। इस विधेयक को पहले अगस्त 2024 में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया था। मौजूदा बजट सत्र के समाप्त होने में केवल चार कार्य दिवस शेष हैं, ऐसे में सरकार पर इस विधेयक को पारित कराने का दबाव है। अमित शाह ने टाइम्स नाउ समिट 2025 में कहा, “हम इसी सत्र में वक्फ विधेयक पेश करेंगे।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यह विधेयक संविधान के दायरे में लाया जा रहा है और इसका उद्देश्य वक्फ अधिनियम की मौजूदा कमियों को दूर करना है।
कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप
अमित शाह ने मौजूदा वक्फ अधिनियम पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने तुष्टीकरण की राजनीति के चलते ऐसे नियम बनाए, जो संविधान की भावना के खिलाफ थे। शाह के अनुसार, “कांग्रेस ने वक्फ अधिनियम को राजनीतिक लाभ के लिए तोड़-मरोड़ कर पेश किया था।” उन्होंने यह भी दावा किया कि कांग्रेस द्वारा बनाए गए कानून के तहत अदालतों में इन फैसलों को चुनौती नहीं दी जा सकती थी।
वक्फ संपत्तियों को लेकर नया कानून क्यों?
गृह मंत्री ने कहा कि सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन इसलिए कर रही है ताकि वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रोका जा सके। शाह ने बताया कि दिल्ली में 123 प्रमुख स्थानों को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया और प्रयागराज में ऐतिहासिक चंद्रशेखर आजाद पार्क को भी वक्फ संपत्ति का दर्जा दिया गया। नए विधेयक में इन विवादित संपत्तियों के मुद्दे को सुलझाने की बात कही गई है।
विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन पर अमित शाह का जवाब
विधेयक के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए अमित शाह ने कहा, “हर किसी को विरोध का अधिकार है, लेकिन अगर विधेयक असंवैधानिक है, तो उसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।” उन्होंने जोर दिया कि मुसलमानों के अधिकारों पर कोई आंच नहीं आने दी जाएगी और विपक्ष केवल भ्रम फैला रहा है।
क्या बदलेगा नए वक्फ संशोधन विधेयक से?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में वक्फ संशोधन विधेयक को मंजूरी दी है, जिसमें JPC की अनुशंसाओं को शामिल किया गया है। अब इसे संसद में चर्चा और पारित करने के लिए पेश किया जाएगा। शाह ने स्पष्ट किया कि नरेंद्र मोदी सरकार संविधान के दायरे में रहकर संशोधन कर रही है, जिससे किसी भी धर्म या समुदाय के अधिकारों का हनन न हो।