Nainital Minor Rape Case: सोशल मीडिया टिप्पणी पर VHP नेता पर केस, कोर्ट के आदेश पर FIR दर्ज

उत्तराखंड के नैनीताल में 12 वर्षीय नाबालिग से हुए बलात्कार के मामले ने जहां समाज को झकझोर कर रख दिया, वहीं अब इस प्रकरण से जुड़ी सोशल मीडिया टिप्पणियों ने एक नया मोड़ ले लिया है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) के प्रांत सह मंत्री रनदीप पोखरिया पर कोर्ट के आदेश के बाद आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है।

रेप का आरोपी 73 वर्षीय उस्मान, जनता में उबाल

30 अप्रैल को नैनीताल में सामने आए इस बलात्कार कांड में 73 वर्षीय उस्मान नामक व्यक्ति पर 12 साल की बच्ची से दुष्कर्म का आरोप लगा, जिससे क्षेत्र में जबरदस्त जनाक्रोश फैल गया। घटना के बाद 6 मई को विश्व हिंदू परिषद ने नगर में प्रदर्शन रैली भी निकाली थी।

सोशल मीडिया पर भड़के भावनात्मक कमेंट्स, कोर्ट ने लिया संज्ञान

रैली के बाद सोशल मीडिया पर आरोपी के परिवार के खिलाफ कई भावनात्मक और आपत्तिजनक टिप्पणियां सामने आईं। इन्हीं में VHP नेता रनदीप पोखरिया द्वारा की गई कुछ पोस्ट्स भी शामिल थीं।

आरोपी का बेटा मोहम्मद रिजवान, जो एक सरकारी कर्मचारी है, उसने अपने स्थानांतरण और सोशल मीडिया ट्रोलिंग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

कोर्ट के निर्देश पर FIR, IPC की इन धाराओं में केस

कोर्ट ने मामले की जांच के आदेश दिए, जिसके बाद एसआई दीपक कार्की ने कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज की।
पुलिस के मुताबिक, पोखरिया ने 1 और 5 मई को रिजवान के ट्रांसफर को लेकर सोशल मीडिया पर विवादित टिप्पणियां की थीं।

इसके आधार पर उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 196(1)(A) और 353(1)(C) के तहत केस दर्ज किया गया है।

कोतवाल हेम चंद्र पंत ने बताया कि शिकायत और प्रारंभिक जांच के आधार पर यह कार्रवाई की गई है।

कानून बनाम भावनाएं – मामला नफरत बनाम न्याय का?

इस केस ने एक बार फिर सवाल उठाया है कि जब कोई गंभीर अपराध होता है, तो उसके बाद सोशल मीडिया पर सार्वजनिक गुस्सा कहां तक जायज है?
क्या धार्मिक और भावनात्मक मुद्दों पर की गई टिप्पणियां अभिव्यक्ति की आज़ादी के तहत आती हैं या कानून की सीमा में दंडनीय हैं?

न्याय की राह में कानून का संतुलन ज़रूरी

Nainital Minor Rape Case ने जहां समाज को झकझोरा, वहीं इस पर आई प्रतिक्रियाओं ने कानूनी बहस भी खड़ी कर दी है। अपराध के खिलाफ आवाज़ उठाना ज़रूरी है, लेकिन सोशल मीडिया की अभिव्यक्ति भी कानून की मर्यादा में होनी चाहिए।