ISRO Launch Failure: EOS-09 सैटेलाइट मिशन तीसरे चरण में फेल, क्या इंडिया की Surveillance Capabilities को झटका लगा?

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को उस समय झटका लगा जब ISRO का बहुप्रतीक्षित सैटेलाइट EOS-09 रविवार सुबह लॉन्च के दौरान विफल हो गया। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C61 के जरिए लॉन्च किया गया यह मिशन अपने तीसरे चरण में गड़बड़ी के कारण अधूरा रह गया।

मिशन का टेक्निकल प्रोफाइल

  • Satellite Name: EOS-09 (Earth Observatory Satellite)

  • Launcher: PSLV-C61

  • Height: 44.5 मीटर

  • Weight: 321 टन

  • Orbit: Sun Synchronous Polar Orbit (SSPO)

  • Technology: C-Band Synthetic Aperture Radar

  • Mission Life: 5 साल

  • Purpose: High-resolution Earth imaging, surveillance, anti-terror monitoring

तीसरे चरण में आई तकनीकी खराबी

ISRO चीफ वी. नारायणन ने जानकारी देते हुए कहा:

PSLV-C61 का प्रदर्शन पहले और दूसरे चरण में सामान्य था, लेकिन तीसरे चरण में गड़बड़ी के कारण मिशन पूरा नहीं हो पाया।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह मिशन RISAT-1 का फॉलो-ऑन था, जिसका मकसद भारत की रिमोट सेंसिंग और एंटी-टेरर सर्विलांस क्षमता को और अधिक मजबूत करना था।

EOS-09 क्यों था खास?

EOS-09 को खासतौर पर आतंकवाद रोधी गतिविधियों, सीमाओं पर निगरानी और प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व चेतावनी के लिए डिजाइन किया गया था। यह दिन-रात और हर मौसम में पृथ्वी की स्पष्ट तस्वीरें लेने की क्षमता रखता है।

 Pahalgam TeAI Content Creatorrror Attack और Operation Sindoor जैसे घटनाक्रमों के बाद इस सैटेलाइट को राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा था।

क्या कहता है ये फेल्योर?

ISRO का PSLV लॉन्च प्लेटफॉर्म दुनिया के सबसे भरोसेमंद लॉन्च वाहनों में से एक रहा है, जिसकी अब तक की 63 उड़ानों में बहुत कम असफलताएं रही हैं। लेकिन यह विफलता दर्शाती है कि:

  • टेक्नोलॉजी चाहे कितनी भी परिपक्व हो, रिस्क हमेशा बना रहता है

  • EOS-09 जैसे हाई-सेंसिटिव मिशन में हर स्टेज पर उच्चतम स्तर की जांच जरूरी है

  • लॉन्च फेल्योर भारत की अंतरिक्ष निगरानी रणनीति को अस्थायी रूप से धीमा कर सकता है

आगे की योजना: अब निगाहें निसार पर

ISRO अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के साथ मिलकर विकसित किए गए NISAR Satellite को GSLV-F16 से लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। यह मिशन पृथ्वी की सतह, पर्यावरणीय बदलाव और जलवायु परिवर्तन पर बारीक निगरानी रखने में मदद करेगा।

EOS-09 की लॉन्च विफलता ISRO के लिए एक अस्थायी झटका जरूर है, लेकिन यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के आत्मविश्वास को कमजोर नहीं करता।
ISRO की पारदर्शिता, आत्ममंथन और तेज़ रिकवरी इसका सबसे बड़ा उत्तर हैं। अब देश की निगाहें आने वाले NISAR मिशन और Gaganyaan प्रोग्राम पर हैं।