वाराणसी में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ा, बाढ़ ने बढ़ाई स्थानीय जनजीवन की मुश्किलें

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर पिछले दिनों लगातार बढ़ रहा है और आगामी घंटों में इसमें और इजाफा होने के संकेत मिल रहे हैं। यह स्थिति कानपुर गंगा बैराज से लगभग डेढ़ लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण उत्पन्न हुई है, जो करीब चार दिनों में वाराणसी पहुंच रहा है। केंद्रीय जल आयोग ने भी अगले 24 घंटे में गंगा के जलस्तर में वृद्धि की संभावना जताई है।

सोमवार को गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ता रहा, और शाम 7 बजे से जलस्तर बढ़ने की रफ्तार प्रति घंटे एक सेंटीमीटर तक पहुंच गई। 28 जुलाई से गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है, जिसमें मात्र आठ दिनों में 4.84 मीटर की वृद्धि हुई है। विशेषकर बलिया, मिर्जापुर और गाजीपुर में जलस्तर अपने-अपने खतरे के स्तर से ऊपर बह रहा है।

वाराणसी के कई घाट पानी में डूब चुके हैं, जिससे राजघाट-नमो घाट मार्ग पर करीब एक फीट पानी चढ़ गया है और वाहनों का आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है। प्रशासन ने इस मार्ग को छोटे वाहनों के लिए वन-वे कर दिया था, लेकिन अब बाढ़ के कारण यह भी बंद हो गया है।

श्री काशी विश्वनाथ धाम सहित कई प्रमुख घाटों के सीढ़ियां पानी में डूब गई हैं। वाराणसी में चार साल बाद ट्रॉमा सेंटर वाली सड़क पर भी गंगा का पानी पहुंच गया है। इससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण शवदाह कार्य प्रभावित हुआ है, कई घाट जलमग्न हैं और अंतिम संस्कार के लिए लोगों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा है।

गंगा के जलस्तर में इस तरह की वृद्धि के कारण न केवल स्थानीय आवागमन बाधित हुआ है, बल्कि सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। लकड़ी विक्रेता और नाविक मनमाने दाम वसूल कर लोगों की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।

इस बाढ़ की स्थिति पर प्रशासन और जल आयोग की नजर बनी हुई है और राहत एवं बचाव कार्य जारी हैं। स्थानीय लोगों से भी सतर्कता बरतने और सुरक्षा निर्देशों का पालन करने की अपील की गई है।