Anti-National Post Bail Rejected by High Court: फेसबुक पर ‘Pakistan Zindabad’ जैसी आपत्तिजनक पोस्ट साझा करने के मामले में यूपी के बुलंदशहर निवासी 62 वर्षीय अंसार अहमद सिद्दकी की bail application को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। Justice Siddharth की बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राष्ट्रविरोधी मानसिकता वाले लोगों के प्रति अदालतों की सहनशीलता के चलते ऐसे मामलों में वृद्धि हो रही है। उन्होंने साफ किया कि यह कृत्य न केवल भारतीय संविधान का अपमान है, बल्कि देश की sovereignty, unity और integrity को सीधी चुनौती है।
अदालत ने सख्त टिप्पणी में क्या कहा?
हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता senior citizen हैं और स्वतंत्र भारत में जन्मे हैं, लेकिन उनका व्यवहार गैर-जिम्मेदाराना और anti-national activity की श्रेणी में आता है। ऐसे में वह संविधान के Article 21 (Right to Personal Liberty) के संरक्षण के योग्य नहीं हैं। साथ ही कोर्ट ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि इस केस की सुनवाई को प्राथमिकता के आधार पर जल्द से जल्द पूरा किया जाए।
किन धाराओं में मामला दर्ज है?
बुलंदशहर के छतरी थाने में अंसार अहमद के खिलाफ BNS की धारा 197 और 152 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है, जो national unity को कमजोर करने और sovereignty को खतरे में डालने से संबंधित हैं। बचाव पक्ष ने दलील दी कि उन्होंने सिर्फ एक वीडियो साझा किया था और उनका स्वास्थ्य खराब है। जबकि सरकारी वकील ने कहा कि यह वीडियो Pahalgam Terror Attack में 26 निर्दोष लोगों की हत्या के बाद साझा किया गया था, जो स्पष्ट रूप से आतंकी कृत्य का समर्थन है।
कोर्ट का अंतिम फैसला
26 जून 2025 को दिए गए आदेश में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह भारत के संविधान का पालन करे और देश की unity and sovereignty का सम्मान करे। अंसार अहमद की जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि उनका कार्य देश के खिलाफ था और यह national security को सीधे प्रभावित करता है।