BSF Jawan Purnam Shaw News : मानसिक यातनाओं से गुजरे जवान की डीब्रीफिंग जारी, परिवार से भी नहीं मिल सके

20 दिन तक पाकिस्तान की कैद में रहने के बाद लौटे BSF जवान पूर्णम शॉ की कहानी किसी रोंगटे खड़े कर देने वाले किस्से से कम नहीं है। पहलगाम आतंकी हमले के अगले ही दिन वह गलती से Pakistani Border में चले गए थे। इसके बाद उन्हें mentally tortured किया गया और अब वे भारत में वापस आने के बावजूद अपने घर नहीं लौट सके हैं।

Mental Torture in Pakistan: जवान की आंखों पर पट्टी बांधकर की गई पूछताछ

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, पूर्णम शॉ के शरीर पर किसी तरह की चोट के निशान नहीं हैं, लेकिन उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। पाकिस्तान की हिरासत में:

  • उन्हें सोने नहीं दिया गया

  • आंखों पर पट्टी बांधकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाया गया

  • ब्रश तक करने की इजाजत नहीं दी गई

  • उनसे भारतीय सेना के senior officers और contract details पूछी गईं

यह मानसिक दबाव इतना गंभीर था कि भारत लौटने के बाद भी उनकी medical debriefing और psychological assessment चल रही है।

घर से अब भी दूर, किसी से मिलना मना

वर्तमान में पूर्णम शॉ को न तो अपने परिवार से मिलने दिया जा रहा है और न ही किसी बाहरी व्यक्ति से। अधिकारियों के मुताबिक जब तक उनका 360-degree review पूरा नहीं हो जाता, तब तक वह public interaction नहीं कर सकते।

एक अधिकारी ने बताया:

“पूर्णम शॉ अभी ड्यूटी जॉइन नहीं कर पाएंगे। उनकी मानसिक स्थिति का पूरा आकलन जरूरी है।”

Operation Sindoor के चलते बढ़ा तनाव, वापसी मुश्किल लग रही थी

शॉ की return to India ऐसे समय में हुई जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ Operation Sindoor लॉन्च किया था। इस मिशन के चलते दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर था। इसके बावजूद, Ceasefire Agreement के तहत उन्हें Wagah-Attari Border से भारत वापस लाया गया।

उनकी पत्नी ने मीडिया से कहा:

“हम बहुत खुश हैं कि वह सुरक्षित लौट आए हैं, अब बस उनसे मिलने का इंतजार है।”

मानसिक आघात की कीमत: सैनिक की वापसी आसान नहीं होती

यह मामला भारत-पाक संबंधों के संवेदनशील दौर में एक सैनिक के अनुभव की हकीकत दिखाता है। सिर्फ सीमा पार करना ही नहीं, बल्कि उस पार जो मानसिक यातना मिलती है, वह कहीं ज्यादा गहरी होती है। पूर्णम शॉ की कहानी हजारों जवानों के लिए एक चेतावनी भी है और सम्मान की मिसाल भी।