Air India हादसा: 270 शव, 19 की पहचान DNA से, बाकी की प्रक्रिया जारी

Air India विमान हादसे के बाद गुजरात में DNA Matching Process तेज़ी से चल रही है। इस हादसे में बड़ी संख्या में लोगों की जान गई, और अधिकांश शव बुरी तरह जल चुके हैं, जिससे पहचान करना बेहद कठिन हो गया है। अब तक 19 शवों की शिनाख्त DNA जांच के ज़रिए हो चुकी है, जबकि कुछ शवों की बिना DNA टेस्ट के पुष्टि हो चुकी है।

 DNA मिलान में अब तक क्या प्रगति हुई?

गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने शनिवार देर रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी साझा की कि अब तक 19 शवों की पहचान DNA से हो चुकी है। उन्होंने बताया कि राज्य फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) और नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (NFSU) की टीमें रातभर काम कर रही हैं ताकि बाकी शवों की भी पहचान जल्द से जल्द की जा सके।

DNA Identification Update:

अब तक 19 शवों की पुष्टि | 8 शव बिना DNA टेस्ट के पहचाने गए
कुल 270 शव अस्पताल पहुंचाए गए

 8 शवों की पहचान बिना DNA के
मंत्री संघवी ने बताया कि 8 शव ऐसे हैं जिन्हें परिजनों ने सीधे पहचान लिया है और उनकी DNA जांच की आवश्यकता नहीं पड़ी। ऐसे शव पहले ही उनके परिवारों को सौंप दिए गए हैं।

 कितने शव, कितने नमूने?

बी जे मेडिकल कॉलेज, अहमदाबाद के डॉक्टरों के अनुसार:

अब तक 270 से अधिक शव अस्पताल पहुंच चुके हैं

242 यात्री और क्रू सदस्य विमान में सवार थे, जिनमें से 241 की मौत हो गई

केवल 1 यात्री – विश्वास कुमार रमेश जीवित बचा है, जिनकी हालत अब स्थिर है

 तेज़ की गई पहचान प्रक्रिया

गुजरात सरकार ने DNA Matching को तेज़ करने के लिए एक आपात बैठक की। इसमें राज्य और केंद्र सरकार के फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने भाग लिया। अधिकारी चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं ताकि जल्द से जल्द शवों को परिजनों को सौंपा जा सके।

230 से अधिक टीमें बनाई गई हैं जो गुजरात के 18 जिलों में मारे गए लोगों के परिवारों से संपर्क कर रही हैं।
11 विदेशी नागरिकों के परिवारों को भी सूचना दी जा चुकी है।

 हादसे की जानकारी कैसे मिली?

यह हादसा गुरुवार को अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद हुआ, जब लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट बी जे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। आग लगने और जोरदार धमाके के बाद चारों ओर अफरा-तफरी मच गई।

डॉक्टर रजनीश पटेल के मुताबिक, DNA मिलान में सावधानी बेहद जरूरी है क्योंकि इसके कानूनी और मेडिकल परिणाम होते हैं। इसलिए, किसी तरह की जल्दबाजी नहीं की जा रही है।