7 साल बाद एमजे अकबर की मोदी टीम में वापसी! जानें मीटू केस में क्यों छोड़ा था मंत्री पद?
कभी मोदी सरकार के विदेश राज्य मंत्री रह चुके एमजे अकबर एक बार फिर चर्चा में हैं। 7 साल बाद उनकी मोदी टीम में वापसी हुई है, वो भी ऐसे वक्त पर जब भारत ने पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर घेरने के लिए All-Party Delegation विदेश भेजने का ऐलान किया है।
लेकिन सवाल उठता है—क्या मीटू विवाद से जुड़े दाग अब धुल गए हैं? और आखिर क्यों एमजे अकबर को फिर से अहम भूमिका दी गई है?
पाकिस्तान को बेनकाब करने के मिशन में एमजे अकबर को मिली जिम्मेदारी
भारत सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले और Operation Sindoor की सच्चाई दुनिया को दिखाने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजने का फैसला लिया है।
इस टीम में एमजे अकबर को शामिल किया गया है, जो रविशंकर प्रसाद की अगुआई में यूरोपियन यूनियन और यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली, डेनमार्क जैसे देशों का दौरा करेंगे।
कौन-कौन हैं टीम में?
पार्टी |
प्रतिनिधि |
बीजेपी |
रविशंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा, एमजे अकबर |
कांग्रेस |
शशि थरूर |
जेडीयू |
संजय कुमार झा |
डीएमके |
कनिमोझी |
एनसीपी (SP) |
सुप्रिया सुले |
शिवसेना |
श्रीकांत शिंदे |
2018 में क्यों देना पड़ा था इस्तीफा?
2018 में भारत में जब #MeToo मूवमेंट की लहर चल रही थी, तब एमजे अकबर पर कई महिला पत्रकारों ने यौन शोषण के आरोप लगाए।
इनमें सबसे प्रमुख नाम प्रिया रमानी का था, जिन्होंने खुलकर अपने अनुभव साझा किए।
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एमजे अकबर ने आरोपों को “बेबुनियाद” बताते हुए मानहानि का केस दायर किया।
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2021 में दिल्ली की अदालत ने रमानी को बाइज्जत बरी कर दिया।
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एमजे अकबर इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे, जहां अभी मामला विचाराधीन है।
इन्हीं आरोपों के चलते उन्होंने विदेश राज्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
एमजे अकबर की पृष्ठभूमि
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पत्रकारिता की दुनिया में जाना-पहचाना नाम।
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1989 में कांग्रेस से किशनगंज, बिहार से सांसद बने।
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2014 में बीजेपी जॉइन की और 2015 में राज्यसभा के लिए चुने गए।
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2016 में विदेश राज्य मंत्री बनाए गए।
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2019 में नेहरू मेमोरियल सोसाइटी के अध्यक्ष पद से भी हटे।