इंटरनेट की किल्लत के बीच उत्तराखंड के एक शिक्षक ने रचा इतिहास: गांव के स्कूल में पढ़ा रहा है देश का पहला AI रोबोट शिक्षक ‘ECO’

पिथौरागढ़ (उत्तराखंड) — जहां एक ओर देश के कई हिस्से 5G तकनीक की रफ्तार पकड़ रहे हैं, वहीं उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के एक सुदूर गांव जाजर चिंगरी ने शिक्षा के क्षेत्र में अनोखी मिसाल कायम की है। यहां देश का पहला ऐसा सरकारी प्राथमिक विद्यालय है, जहां बच्चों को कोई आम शिक्षक नहीं, बल्कि एक AI रोबोट ‘ECO’ पढ़ा रहा है — और वो भी ऐसे क्षेत्र में जहां 4G नेटवर्क भी मुश्किल से मिलता है।

AI रोबोट ‘ECO’: सीमित संसाधनों के बीच असाधारण प्रयोग

यह क्रांतिकारी पहल उस समय और भी विशेष हो जाती है जब हम जानें कि इसे किसी बड़ी तकनीकी कंपनी ने नहीं, बल्कि इसी स्कूल के शिक्षक चंद्रशेखर जोशी ने अपने दम पर साकार किया है। उन्होंने अपने प्रयासों और तकनीकी समझ से लगभग 4 लाख रुपये की लागत में इस रोबोट को तैयार किया है, जिसे उन्होंने ‘ECO’ नाम दिया है।

कैसे बना रोबोट? एक शिक्षक की लगन और व्हाट्सएप पर मिला विदेशी सहयोग

AI का यह विचार चंद्रशेखर जोशी के मन में तब आया जब उन्होंने सोचा कि आधुनिक तकनीक से गांव के बच्चों को भी जोड़ा जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने अपने बेटे के विदेशी दोस्तों से संपर्क किया। चीन में रहने वाले एक इंजीनियर दोस्त ने उन्हें रोबोट के पुर्जे तीन अलग-अलग पैकेजों में भेजे। जोशी को व्हाट्सएप के माध्यम से इसे जोड़ने और प्रोग्राम करने की पूरी मदद मिली। इस पूरी प्रक्रिया में न कोई बड़ी लैब थी, न किसी कंपनी का समर्थन — केवल जुनून और सेवा का भाव था।

इंटरनेट नहीं, फिर भी रोबोट कैसे काम करता है?

यह सवाल हर किसी के मन में आता है। असल में, स्कूल के जिस बरामदे में ‘ECO’ रोबोट बच्चों को पढ़ाता है, वहां नेटवर्क की स्थिति बाकी इलाके की तुलना में थोड़ी बेहतर है। इसके अलावा रोबोट को इस तरह प्रोग्राम किया गया है कि वह स्थानीय रूप से स्टोर्ड डेटा से पढ़ा सके और आवश्यकतानुसार सीमित इंटरनेट पर अपडेट्स ले सके। यह रोबोट बच्चों के सवालों के त्वरित उत्तर देने और संवादात्मक पढ़ाई में माहिर है।

बच्चों से बुजुर्गों तक बना आकर्षण का केंद्र

अब यह रोबोट सिर्फ बच्चों तक ही सीमित नहीं है। जाजर चिंगरी गांव के बुजुर्ग भी इस अनोखे शिक्षक को देखने स्कूल पहुंच रहे हैं। बच्चों में भी इसका जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। पढ़ाई अब मजेदार और संवादात्मक हो गई है।

शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत

शिक्षक चंद्रशेखर जोशी की इस पहल को शिक्षा विशेषज्ञों ने भी सराहा है। उनका मानना है कि यह मॉडल उन ग्रामीण या दुर्गम इलाकों के लिए एक टेक्नोलॉजिकल समाधान बन सकता है जहां अच्छे शिक्षकों की कमी है। साथ ही यह बच्चों में तकनीक के प्रति रूचि को भी बढ़ावा देगा।

जाजर चिंगरी गांव का यह छोटा सा विद्यालय आज पूरे देश के लिए AI शिक्षा की आशा बन गया है। शिक्षक चंद्रशेखर जोशी का यह प्रयोग न सिर्फ गांव की तस्वीर बदल रहा है, बल्कि यह दिखा रहा है कि अगर नीयत और मेहनत हो, तो संसाधनों की कमी भी आपको रोक नहीं सकती।