Uttarakhand Teachers Promotion on Hold: Supreme Court's TET Mandatory Decision
सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में ‘XXX बनाम भारत संघ’ के नाम से दाखिल याचिका ने सबका ध्यान खींचा है। लेकिन इस याचिका से जुड़ा सबसे बड़ा सवाल है — Why did Justice Yashwant Verma conceal his identity?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा ने Supreme Court में एक Civil Writ Petition दायर की है जिसमें उन्होंने internal inquiry report को रद्द करने की मांग की है। यह रिपोर्ट उनके आवास से नकदी बरामद होने की जांच से जुड़ी है। लेकिन इस याचिका में जो बात सबसे चौंकाने वाली है, वह यह कि उन्होंने खुद को ‘XXX’ के रूप में दर्शाया है — एक ऐसा कोड, जो आमतौर पर victims of sexual harassment, minor children, या marriage disputes से जुड़ी याचिकाओं में ही उपयोग होता है।
क्या यह ‘Identity Shielding’ एक Legal Strategy है?
Times of India report के मुताबिक, इस याचिका में Justice Verma का नाम कहीं नहीं है — उनकी जगह हर जगह ‘XXX’ लिखा गया है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिकॉर्ड्स में इस तरह की पहचान high privacy cases में ही दर्ज की जाती है। सवाल ये है कि क्या यह कोई deliberate legal shield है या फिर मामला इससे कहीं ज्यादा गंभीर है?
‘XXX बनाम भारत संघ’: Petition Details
यह याचिका Civil Writ Petition No. 699 of 2024 के रूप में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज की गई है। इसमें Union of India को पहला और Supreme Court registry को दूसरा प्रतिवादी बनाया गया है।
याचिका 17 जुलाई को दाखिल की गई थी, लेकिन कुछ तकनीकी खामियों के चलते इसे तुरंत स्वीकार नहीं किया गया। बाद में सुधार के बाद, 24 जुलाई को यह याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा औपचारिक रूप से दर्ज की गई।
Hearing Schedule और FIR की मांग
यह केस Justice Dipankar Dutta और Justice Augustine George Masih की बेंच के समक्ष सोमवार को लिस्ट किया गया है। जस्टिस वर्मा की याचिका का serial number 56 है। इसी दिन, serial number 59 पर वकील मैथ्यूज जे नेदुम्पारा की याचिका भी लिस्ट है, जिसमें उन्होंने जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR registration की मांग की है। आरोप है कि नकदी मिलने, उसे जलाने और गायब हो जाने की घटनाओं में सच्चाई सामने लाने के लिए criminal investigation जरूरी है।
Impeachment Recommendation पर भी उठाए सवाल
जस्टिस वर्मा ने याचिका में यह भी अनुरोध किया है कि Justice Sanjiv Khanna द्वारा 8 मई को संसद को भेजी गई impeachment recommendation को रद्द किया जाए। उनका कहना है कि उस जांच में burden of proof पूरी तरह से defence यानी उन पर डाल दिया गया, जो natural justice के सिद्धांतों के खिलाफ है।