जब प्यार बना अपराध! समाज की ‘शुद्धि’ के नाम पर पूरे परिवार को सहनी पड़ी बेइज्जती
ओडिशा के रायगढ़ा जिले में एक शर्मनाक सामाजिक दबाव की घटना सामने आई है, जहां एक महिला द्वारा दूसरी जाति में शादी करने पर उसके पूरे परिवार के 40 सदस्यों को अपने सिर मुंडवाने पर मजबूर किया गया। यह मामला काशीपुर ब्लॉक के बैगनगुड़ा गांव का है, जहां जातीय परंपराओं के नाम पर आज भी इंसानी गरिमा को रौंदा जा रहा है।
विवाह बना बहिष्कार का कारण, फिर हुआ सामूहिक मुंडन
अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय की एक युवती ने अनुसूचित जाति (SC) के युवक से प्रेम विवाह किया। इसके बाद गांव में जातीय असहमति और परंपरा के उल्लंघन की बात कहकर, पूरे परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया।
गांव वालों ने धमकी दी कि अगर वे ‘शुद्धिकरण’ की रस्म नहीं निभाते, तो उन्हें कभी समाज में वापस नहीं लिया जाएगा। दबाव में आकर स्थानीय देवता के सामने पशु बलि दी गई और फिर पूरे परिवार ने सार्वजनिक रूप से सिर मुंडवा लिया।
21वीं सदी में भी सामाजिक बहिष्कार की सज़ा?
यह घटना दिखाती है कि Inter-caste marriages को लेकर भारतीय समाज का एक बड़ा हिस्सा आज भी रूढ़िवादी मानसिकता से बाहर नहीं निकल पाया है। जबकि भारतीय संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार और स्वतंत्र विवाह की आज़ादी देता है, लेकिन जमीनी हकीकत आज भी इन मूल्यों के विपरीत है।
सामाजिक चिंतन: सवाल पूछने का वक्त
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क्या 21वीं सदी में भी जाति के नाम पर सज़ाएं जायज़ हैं?
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क्या प्रेम विवाह करना इतना बड़ा अपराध है कि पूरे परिवार को अपमानित किया जाए?
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क्या समाज की ‘इज्जत’ इंसान की गरिमा से ऊपर है?