पानी बंद, तिलमिला उठा पाकिस्तान! भारत के पास कितने विकल्प हैं सबक सिखाने के?

पानी… जिंदगी का आधार। जहां पानी थम जाए, वहीं ज़िंदगी भी थम जाती है। और अगर पानी अचानक बेहिसाब बहने लगे, तो तबाही तय है।
पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष सैलानियों की हत्या के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा कदम उठाया — सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को स्थगित कर दिया।

अब सवाल उठ रहा है:

क्या भारत पानी को हथियार बनाकर पाकिस्तान को घुटनों पर ला सकता है?
क्या भारत नदियों पर नियंत्रण करके पाकिस्तान को सबक सिखा सकता है?
आइए विस्तार से समझते हैं भारत के पास क्या-क्या विकल्प हैं।

सलाल बांध क्यों बना चर्चा का केंद्र?

22 अप्रैल को, जब पहलगाम में आतंकी हमला हुआ, उसी दिन जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब नदी पर बने सलाल बांध (Salal Dam) के गेट खोल दिए गए।
हालांकि यह महज एक संयोग था — भारी बारिश के चलते बांध पर दबाव बढ़ गया था, और सुरक्षा कारणों से गेट खोलने पड़े। कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ।

लेकिन फिर भी सलाल बांध चर्चा में आ गया। क्यों?
क्योंकि ये बांध भविष्य में भारत के लिए पाकिस्तान पर “जल प्रहार” (Water Strike) का एक बड़ा जरिया बन सकता है।

भारत से पाकिस्तान को जाने वाली नदियां और उनकी स्थिति

भारत से पाकिस्तान जाने वाली छह प्रमुख नदियां हैं:

  • पश्चिमी नदियां: सिंधु, झेलम और चिनाब (Indus, Jhelum, Chenab)

  • पूर्वी नदियां: रावी, व्यास और सतलुज (Ravi, Beas, Sutlej)

सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों पर लगभग असीमित अधिकार मिला है, जबकि भारत को इनका सीमित उपयोग ही करने दिया गया है।
हालत यह है कि भारत से निकलने वाले पानी का लगभग 80% हिस्सा पाकिस्तान चला जाता है, जबकि भारत महज 20% का ही उपयोग कर पाता है।

लेकिन अब जब संधि स्थगित हो चुकी है, तो भारत के पास इन नदियों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने का कानूनी अवसर है।

चिनाब नदी से पाकिस्तान को कैसे किया जा सकता है परेशान?

चिनाब नदी (Chenab River) भारत के लिए रणनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण है। इस पर भारत ने कई रन ऑफ द रिवर (Run-of-the-River) पनबिजली परियोजनाएं बनाई हैं:

  • बगलिहार डैम (Baglihar Dam) – 1000 मेगावाट (2009 में पूरा)

  • सलाल डैम (Salal Dam) – 690 मेगावाट (1987 में पूरा)

  • दुलहस्ती डैम (Dulhasti Dam) – 280 मेगावाट

  • रातले प्रोजेक्ट (Ratle Project) – 900 मेगावाट (निर्माणाधीन)

  • पाकलदुल डैम (Pakal Dul) – 1000 मेगावाट (निर्माणाधीन)

  • सावलकोट प्रोजेक्ट (Sawalkot) – 1856 मेगावाट (निर्माणाधीन)

रन ऑफ द रिवर प्रोजेक्ट्स में भंडारण कम होता है, लेकिन सिल्ट (गाद) से बांधों को नुकसान पहुंचता है और गाद नीचे के इलाकों में भारी तबाही मचा सकती है।

सलाल बांध पूरी तरह से सिल्ट से भरा हुआ है। यदि भारत तकनीकी तरीके से इस गाद को डिस्चार्ज करे तो पाकिस्तान का कैनाल सिस्टम बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।

पानी रोकने और छोड़ने का खेल

हाल ही में बगलिहार और सलाल बांधों का पानी कुछ देर के लिए रोका गया था ताकि पीक डिमांड (Peak Electricity Demand) के समय बिजली उत्पादन बढ़ाया जा सके।
लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि भविष्य में बड़े भंडारण वाले बांध बनने के बाद भारत पाकिस्तान को पानी के जरिए और भी गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है।

चीन की चाल: ब्रह्मपुत्र पर मंडरा रहा एक नया खतरा

जहां भारत पाकिस्तान पर पानी से दबाव बढ़ा सकता है, वहीं चीन भी भारत के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है।
चीन ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra River) पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बना रहा है — Great Bend Dam

  • ब्रह्मपुत्र भारत में प्रवेश करने से पहले तिब्बत में यार्लुंग सांगपो (Yarlung Tsangpo) कहलाती है।

  • भारत में यह नदी अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड, मेघालय, सिक्किम और पश्चिम बंगाल से होकर बहती है।

चीन का यह विशाल बांध भविष्य में पानी रोकने और अचानक छोड़ने के जरिए भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में भारी तबाही ला सकता है।
इससे न केवल बाढ़ का खतरा बढ़ेगा, बल्कि ब्रह्मपुत्र नदी का पूरा इकोसिस्टम भी प्रभावित होगा।

पानी बन सकता है भविष्य की सबसे बड़ी ताकत

भारत अब पानी को सिर्फ कूटनीति का हिस्सा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक हथियार भी बना रहा है।
चिनाब से लेकर ब्रह्मपुत्र तक, जल प्रबंधन अगली बड़ी लड़ाई का केंद्र बनने जा रहा है।

भारत के पास अब विकल्प हैं:

  • जल संधियों की समीक्षा

  • बड़े बांधों के जरिए पानी के प्रवाह को नियंत्रित करना

  • गाद (सिल्ट) के जरिए पाकिस्तान के सिंचाई तंत्र को प्रभावित करना

पानी की यह जंग लंबी होगी, लेकिन जीत उसी की होगी जो धैर्य और रणनीति से खेलेगा।