उत्तरकाशी Disaster Explained: आखिर क्यों मचा धराली में इतनी भीषण तबाही?
उत्तरकाशी के धराली आपदा में जिस तरह से पलभर में पूरा बाजार मलबे में दब गया, उसके पीछे दो मुख्य कारण बताए जा रहे हैं – पानी की अत्यधिक रफ्तार (Flash Flood Velocity) और भारी मलबे का दबाव (Debris Pressure)। भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक, बाढ़ के वक्त पानी की गति लगभग 15 मीटर प्रति सेकेंड रही होगी और उस पानी के साथ आए मलबे ने 250 किलोपास्कल (kPa) तक का दबाव उत्पन्न किया। यह दबाव इतना ज़्यादा था कि पक्के निर्माण भी टिक नहीं पाए।
Water Velocity & Debris Impact: जानिए कैसे आई बर्बादी
दून विश्वविद्यालय में भूगर्भ विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. विपिन कुमार के अनुसार, संकरी घाटियों में जब अत्यधिक बारिश होती है और पानी के साथ भारी मात्रा में मलबा आता है, तो उसकी गति कई गुना बढ़ जाती है।
धराली आपदा के वीडियो फुटेज और क्षेत्रीय भौगोलिक संरचना के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि Flash Flood Velocity लगभग 15 m/s रही होगी। साथ ही, जो मलबा ऊपरी इलाकों से पानी के साथ नीचे आया, उसने Buildings पर 250 kPa तक का दबाव डाला – जो किसी भी सामान्य निर्माण को ध्वस्त करने के लिए पर्याप्त होता है।
पुराना जमा मलबा बना नई तबाही का कारण
डॉ. विपिन ने यह भी बताया कि कुछ समय पहले उनकी टीम ने इस क्षेत्र में रिसर्च की थी। उस समय यह पाया गया था कि पहले की घटनाओं में जो मलबा आया था, वह ऊपरी इलाकों में जमा हो गया था। ये जमा मलबा Dormant Debris Load बन चुका था, जो भारी बारिश के कारण अचानक सक्रिय हो गया और नीचे बहकर आया।
वहीं, प्रोफेसर डॉ. नेहा चौहान ने बताया कि Glacial Melting यानी ग्लेशियरों के पिघलने से भी धीरे-धीरे इस इलाके में भारी मलबा इकट्ठा हो रहा था। गर्मियों में जब तापमान बढ़ा, तो ग्लेशियर से आने वाला मलबा लगातार इकट्ठा होता गया। और फिर जब Cloudburst जैसी भारी बारिश हुई, तो यह सारा मलबा एक साथ नीचे आ गया – जिसने धराली जैसे इलाके को तबाह कर दिया।
क्यों ज़रूरी है Advance Warning System?
उत्तरकाशी जैसे भूसंवेदनशील क्षेत्र में ऐसे प्राकृतिक आपदाओं की पुनरावृत्ति को रोकना आसान नहीं, लेकिन Advanced Monitoring और Early Warning Systems से जान-माल का नुकसान काफी हद तक कम किया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब समय आ गया है कि इन क्षेत्रों में Real-time Flood Sensors, Debris Flow Monitors और Rainfall Radars लगाए जाएं।