UP Power Privatization: सरकार अलर्ट, कर्मचारियों का विरोध तेज, ESMA लागू

उत्तर प्रदेश में Power Sector Privatization को लेकर तनाव लगातार गहराता जा रहा है। कर्मचारियों के बढ़ते विरोध को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने ESMA (Essential Services Maintenance Act) लागू करते हुए अगले 6 महीने तक हड़ताल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।

ऊर्जा विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, यह प्रतिबंध UP Power Corporation Limited (UPPCL), विद्युत उत्पादन निगम, ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन, और सभी वितरण कंपनियों (DISCOMs) पर लागू होगा, जिनमें पूर्वांचल, दक्षिणांचल, मध्यांचल और पश्चिमांचल शामिल हैं।

कर्मचारी लामबंद, आरोप- “सस्ती कीमत पर बेच रहे हैं बिजली”

United Struggle Committee के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने आरोप लगाया है कि पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन निजी कंपनियों के साथ मिलीभगत कर रहा है और 42 जिलों में बिजली व्यवस्था “कौड़ियों के भाव” बेचने की तैयारी में है। उन्होंने चेतावनी दी कि इंजीनियरों के ट्रांसफर या दंडात्मक कार्रवाई के खिलाफ जबरदस्त प्रतिक्रिया हो सकती है।

Purvanchal Vidyut Vitran Nigam में हाल ही में हुए तबादलों ने कर्मचारियों का गुस्सा और बढ़ा दिया है। संघर्ष समिति का कहना है कि निजीकरण को सही ठहराने के लिए लाइन लॉस के झूठे आंकड़े पेश किए जा रहे हैं।

अदाणी, टाटा समेत 8 बड़े ग्रुपों की नजर यूपी के DISCOMs पर

पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण को लेकर Adani Power, Tata Power, Greenko Group, Sterlite Power (Serentica Renewables), Torrent Power, CESC (RP-Sanjiv Goenka Group), ReNew Energy Global, और Electricité de France Consortium जैसे कम से कम 8 Industrial Groups अपनी दिलचस्पी दिखा चुके हैं।

UPPCL इन दोनों डिस्कॉम्स को तोड़कर 5 नई Distribution Companies बनाने की योजना पर काम कर रहा है, जिनमें से 51% हिस्सेदारी निजी कंपनियों को सौंपी जाएगी।

कौन बना रहा है निजीकरण की रणनीति?

Privatisation Process को आगे बढ़ाने के लिए Grant Thornton India को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया है, जो RFP (Request for Proposal) डॉक्युमेंट तैयार कर रहा है। यह डॉक्युमेंट Energy Task Force (ETF) द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है।

UPERC (Uttar Pradesh Electricity Regulatory Commission) से राय मिलते ही यह प्रस्ताव कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, जुलाई तक टेंडर जारी होने और नवंबर 2025 तक पूरी प्रक्रिया पूरी होने की योजना है।

अप्रैल में हो चुकी है कंपनियों के साथ अहम बैठक

इस साल अप्रैल में लखनऊ में पावर कॉरपोरेशन द्वारा Private Power Companies के साथ एक बैठक की गई थी, जिसमें Tata Power, Adani Power, RMI, Chandigarh Power, और CSEP जैसे ग्रुपों ने हिस्सा लिया था। सभी कंपनियों ने Privatization Success Stories साझा कीं और UP में निवेश की संभावनाएं जताईं।

कंपनियों की प्रतिक्रिया: “हिस्सा लेंगे, अवसर देख रहे हैं”

  • Adani Power ने स्पष्ट किया है कि वह यूपी के डिस्कॉम्स के टेंडर में हिस्सा लेगा।

  • Tata Power के MD प्रवीर सिन्हा पहले ही सार्वजनिक रूप से घोषणा कर चुके हैं कि कंपनी भाग लेगी।

  • Serentica Renewables ने प्रतिक्रिया देने से मना किया, लेकिन कहा कि वे संभावनाएं तलाशते रहते हैं।

उत्तर प्रदेश में बिजली के क्षेत्र में Privatization vs Protest की लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है। जहां एक ओर सरकार Efficiency और सुधार के नाम पर निजीकरण को आगे बढ़ा रही है, वहीं कर्मचारी आजीविका और जवाबदेही के मुद्दे पर सड़कों पर उतरने को तैयार हैं। आने वाले महीने तय करेंगे कि यूपी का बिजली क्षेत्र किस दिशा में जाएगा — Public Ownership या Private Control?