उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की भर्ती परीक्षा से ठीक पहले एक बार फिर नकल माफिया हाकम सिंह सलाखों के पीछे पहुंच गया है। STF और देहरादून पुलिस ने उसे ठगी की साजिश रचते हुए दबोचा। आरोप है कि हाकम और उसके साथी अभ्यर्थियों से परीक्षा प्रश्नपत्र दिलाने के नाम पर 12 से 15 लाख रुपये की डिमांड कर रहे थे।
कैसे हुआ पर्दाफाश?
पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि कुछ लोग गिरोह बनाकर अभ्यर्थियों को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। सर्विलांस जांच में हाकम सिंह और अभ्यर्थी पंकज गौड़ के बीच संपर्क का खुलासा हुआ। कॉल डिटेल में पंकज अभ्यर्थियों को पास कराने का लालच देता मिला। दोनों को पटेलनगर से गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस के सामने ‘बेगुनाह’ बना हाकम
गिरफ्तारी के बाद हाकम सिंह ने खुद को बेगुनाह बताया और कहा कि उसे फंसाया जा रहा है। हालांकि STF का दावा है कि आरोपियों ने छह अभ्यर्थियों से संपर्क साधकर एडवांस रकम वसूलने की तैयारी की थी।
पुराना ट्रैक रिकॉर्ड: 2021 पेपर लीक का मास्टरमाइंड
2021 में स्नातक स्तरीय परीक्षा का पेपर लीक करने का आरोप।
STF ने तब 57 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें हाकम मुख्य आरोपी था।
2022 में मोरी (उत्तरकाशी) से फरार होते समय पकड़ा गया।
उस दौरान ग्राम पंचायत विकास अधिकारी परीक्षा (2016), वन दरोगा और सचिवालय रक्षक परीक्षा में भी नकल के केस जुड़े।
2023 में जमानत पर छूटने के बाद ठेकेदारी करने लगा।
अभ्यर्थियों से ठगी का नया जाल
STF का कहना है कि अगर अभ्यर्थियों का चयन स्वतः हो जाता, तो आरोपी रकम हड़प लेते। अगर न होता, तो अगली परीक्षा में पास कराने का वादा कर फिर रकम वसूलते।
फोन से खुलेगा राज
पुलिस ने हाकम सिंह का मोबाइल कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि इसमें उसके नेटवर्क और पुराने संपर्कों का पूरा रिकॉर्ड हो सकता है।
राजनीति और संपत्ति से भी रहा कनेक्शन
हाकम सिंह राजनीति में भी सक्रिय रहा। पहले प्रधान और फिर जिला पंचायत सदस्य बना।
आरोप है कि इस दौरान उसने होटल और रिजॉर्ट खड़े किए।
देहरादून के सहस्रधारा रोड पर भी उसकी संपत्ति बताई जाती है, जिसे पुलिस ने अटैच कर लिया था।
पेपर लीक कांड के बाद पार्टी ने उसे निष्कासित कर दिया था।