Threat of ‘Water Bomb’ in Harsil Valley – Is a massive disaster coming?
आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि हर्षिल घाटी में कृत्रिम कृत्रिम झील में लगभग 7 लाख क्यूबिक मीटर पानी है, अगर अचानक बाहर निकल गया, तो नीचे पूर्वी एशिया में कुछ ही मिनटों में अचानक बाढ़ आ सकती है। इतनी बड़ी मात्रा में पानी न सिर्फ घरों और गलियों को बहा ले जाएगा, बल्कि पुल और अन्य ढांचों को भी भारी नुकसान हो सकता है।
इसे “जल बम” क्यों कहा जा रहा है?
यह झील स्थायी नहीं है और इसके किनारे मलबे और पत्थर से बने हैं। पानी का दबाव बढ़ने से ये किनारा कभी भी टूट सकता है। इसी वजह से इसे ‘वॉटर बम’ कहा जा रहा है- यानि ऐसा जल-बम जो फूटता ही तबाही मचा देगा। हिमालय क्षेत्र में पहले भी ऐसी ही छोटी झीलें बनी थीं, और कई बार फ़ुटने से बड़े पैमाने पर जान-माल की हानि हुई थी।
लोगों में रेलवे और परिवहन की तैयारी
हर्षिल घाटी और आसपास के जंगलों में लोग पैनिक मोड में हैं। कई परिवार घर खाली करने की तैयारी कर रहे हैं। कहावत है कि अगर झील टूटी, तो उनका सारा सामान और घर कुछ ही मिनट में खत्म हो जाएगा।
सेना और टीम की चुनौती
अब सारी मशीनरी भारतीय सेना और इंजीनियरिंग विशेषज्ञों की कोशिशों पर टिकी हैं। यदि झील को नियंत्रित जल निकासी के माध्यम से समय रहते खाली कर दिया जाए, तो बड़ी आपदा हो सकती है। लेकिन अगर कार्रवाई में देरी हुई, तो यह ‘वॉटर बम’ हर्शिल घाटी और कोलोराडो में विनाशकारी आपदा साबित हो सकता है।