उत्तराखंड में बारिश का नया पैटर्न बढ़ा रहा है प्राकृतिक आपदाओं का खतरा! जानिए वजहें

उत्तराखंड में rainfall pattern changes ने प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ा दिया है। कम समय में भारी बारिश की वजह से प्रदेश में floods, landslides और cloudbursts जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं, जो जनजीवन को प्रभावित कर रही हैं। मौसम विभाग के अनुसार, इस साल भी प्रदेश में मानसून की दो मुख्य ब्रांच—Arabian Sea और Bay of Bengal से आने वाली—के टकराव के कारण सामान्य से 60% अधिक बारिश होने की संभावना है।

मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के पूर्व निदेशक और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बिक्रम सिंह बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में उत्तराखंड में मानसून की कुल बारिश लगभग सामान्य ही रही है, लेकिन rainfall intensity बढ़ गई है। पहले जो बारिश एक सप्ताह में होती थी, अब वह तीन दिन में ही हो रही है। इसके अलावा मानसून का मुख्य दौर अब जून से सितंबर तक की बजाय जुलाई-अगस्त में केंद्रित हो गया है।

डॉ. रोहित थपलियाल, प्रभारी निदेशक मौसम विज्ञान केंद्र, के अनुसार, प्रदेश के कुछ जिलों में मानसून की बारिश सामान्य से कम रही है, जबकि अगस्त में बारिश का स्तर तेज हुआ है। इस साल जून-जुलाई में कुल बारिश सामान्य से थोड़ा कम दर्ज की गई, लेकिन अगस्त में अब तक 35% अधिक बारिश हुई है, जिससे disaster risk बढ़ गया है।

पहाड़ों में बारिश अधिक होने की वजह cloudburst phenomenon है। जब भारी नमी वाले बादल पहाड़ी क्षेत्रों में फंस जाते हैं, तो उनकी नमी अचानक भारी बारिश में बदल जाती है। इसे ‘बादल फटना’ कहा जाता है, जिसमें 100 मिलीमीटर प्रति घंटे की दर से पानी बरसता है, जिससे तत्काल बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। पहाड़ों की ऊंचाई इन बादलों को रोकती है, जिससे बारिश और भी तीव्र हो जाती है।

यह बदलता मौसम पैटर्न और भारी बारिश उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों में प्राकृतिक आपदाओं का खतरा लगातार बढ़ा रहा है, जिसके लिए बेहतर disaster management और सतर्कता की आवश्यकता है।