Same Battalion, Same Spirit: पिता की तरह सेना में शामिल हुआ कारगिल शहीद का बेटा

Kargil War Hero कृष्ण बहादुर थापा की शहादत ने उनके बेटे के मन में ऐसा जज्बा भरा कि वह खुद भी Indian Army का हिस्सा बन गया। खास बात यह है कि वह उसी 4/3 Gorkha Rifles Battalion में बतौर Naik अपनी सेवा दे रहा है, जिसमें उसके पिता ने देश के लिए प्राण न्योछावर किए थे।

 पिता की शहादत के बाद शुरू हुआ संघर्ष, फिर सेना तक पहुंचा बेटा

शहीद कृष्ण बहादुर थापा का जन्म 24 जून 1964 को उत्तराखंड के सेलाकुई में हुआ था।

उन्होंने हाई स्कूल के बाद Gorkha Regiment जॉइन की।

Operation Vijay 1999 के दौरान वे Baltalik Sector में शहीद हो गए।

शहादत के समय उनका बेटा मयंक सिर्फ 7 साल का था और छोटा बेटा करण 5 साल का।

मां मीरा देवी ने दोनों बच्चों की परवरिश में तमाम संघर्षों का सामना किया। जैसे-जैसे मयंक बड़ा हुआ, पड़ोसियों और रिश्तेदारों से पिता की बहादुरी के किस्से सुनता रहा और उसके भीतर भी वर्दी पहनने की चाह जगी।

BBA छोड़ जॉइन की Indian Army, पहली बार में ही चयन

2012 में जब मयंक BBA कर रहा था, तभी उसे बनारस में भर्ती रैली की जानकारी मिली।
पढ़ाई बीच में छोड़, वो सीधे बनारस पहुंचा और पहले ही प्रयास में फौज में भर्ती हो गया।
आज मयंक उसी बटालियन 4/3 Gorkha Rifles में Naik के पद पर तैनात है, जहां उसके पिता ने जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा की थी।

 शहीद की पत्नी की टीस: 25 साल से अधूरा है सरकारी वादा

शहीद की पत्नी मीरा देवी बताती हैं कि भले ही सरकार हर साल Kargil Vijay Diwas पर सम्मानित करती हो, लेकिन सरकारी नौकरी देने का वादा 25 साल बाद भी अधूरा है।

उन्होंने कई बार अधिकारियों के चक्कर लगाए लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं मिला।

उन्हें जो सम्मान राशि दी जाती है, उसमें 25 वर्षों से कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।

उनके छोटे बेटे करण थापा ने भी अपनी पढ़ाई पूरी कर अब घरेलू व्यवसाय और मां की सेवा को चुना है।

 Kargil Martyr Family की ये कहानी क्यों है खास?

बेटा उसी बटालियन में शामिल हुआ जिसमें पिता शहीद हुए

संघर्षों के बावजूद देशसेवा की प्रेरणा कमजोर नहीं पड़ी

परिवार को अब भी सरकारी समर्थन की प्रतीक्षा

25 साल बाद भी वीरता की यादें आज भी जीवित हैं