फडणवीस-उद्धव की मुलाकात के बाद उठे सवाल, क्या एकनाथ शिंदे पर दबाव बनाना चाहती है BJP?

महाराष्ट्र की राजनीतिक गहमागहमी फिर तेज हो गई है, और इस बार चर्चा का केंद्र मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हैं। हाल ही में फडणवीस ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे को एनडीए सरकार में वापस शामिल होने का ऑफर दिया, जो राजनीतिक हलकों में बड़े विवाद और अटकलों का कारण बना।

इसके बाद अगले ही दिन महाराष्ट्र विधान परिषद में फडणवीस और उद्धव ठाकरे की 20 मिनट की मुलाकात हुई, जिसमें उद्धव के बेटे और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे। हालांकि, दोनों नेताओं ने इस मुलाकात के पीछे की वजह सार्वजनिक नहीं की। इस बातचीत और ऑफर के बीच का समय राजनीतिक विश्लेषकों के लिए कई संभावनाएं सामने ला रहा है।

उद्धव को वापस लाने के पीछे फडणवीस की रणनीति

विश्लेषकों का मानना है कि फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को एनडीए गठबंधन में वापस शामिल करने की पेशकश मात्र शो ऑफ नहीं की है। उनका मकसद शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे पर दबाव बनाना भी हो सकता है। 2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना का एक बड़ा हिस्सा तोड़कर बीजेपी के साथ गठबंधन किया था, जिससे उद्धव ठाकरे की राजनीतिक स्थिति कमजोर हुई।

शिंदे के साथ पहले तो फडणवीस का संबंध ठीक था, लेकिन जब बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के बाद फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया, तो शिंदे नाराज दिखे। इसके बाद कई विवाद हुए, जैसे शिंदे के जिले में बड़े प्रोजेक्ट की जांच, बसों के कॉन्ट्रैक्ट रद्द होना और सरकारी योजनाओं की समीक्षा, जिससे दोनों के बीच तनातनी बढ़ी। बावजूद इसके, फडणवीस ने शिंदे के खिलाफ कभी खुलकर कुछ नहीं कहा।

उद्धव-फडणवीस का पुराना राजनीतिक समीकरण

फडणवीस के पहले कार्यकाल में बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर बिना ज्यादा विवाद के पांच साल सरकार चलाई थी। यही कारण है कि फडणवीस चाहते हैं कि उद्धव ठाकरे वापस आएं, जिससे न केवल एनडीए की स्थिति मजबूत होगी बल्कि ठाकरे परिवार की विरासत भी गठबंधन में लौटेगी। इसके साथ ही, यह कदम शिंदे पर राजनीतिक दबाव बनाने का जरिया भी बन सकता है।