Muslim Quota पर फिर अड़ा Karnataka: दो बार लौटा बिल अब फिर राष्ट्रपति के पास जाएगा?

कर्नाटक की Congress सरकार एक बार फिर विवादित Muslim Quota Bill को राष्ट्रपति के पास भेजने की तैयारी में है। इससे पहले राज्यपाल Thaawarchand Gehlot इस बिल को दो बार खारिज कर चुके हैं। अब मुख्यमंत्री Siddaramaiah की अगुवाई में सरकार तीसरी बार इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है।

इस बिल के जरिए एक करोड़ रुपये तक के government tenders में मुसलमानों को 4% reservation देने की बात कही गई है। मार्च 2025 में यह विधेयक राज्य विधानसभा से पारित हुआ था, लेकिन संवैधानिक सवालों के चलते राज्यपाल ने इसे अब तक राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए नहीं भेजा।

Governor की दो टूक: “No reconsideration”, क्या अब कोर्ट जाएगी Congress?

राज्यपाल गहलोत ने हाल ही में यह साफ कर दिया कि वह बिल को दोबारा President of India के पास भेजने के अपने पहले के निर्णय पर पुनर्विचार नहीं करेंगे। उन्होंने 28 मई को यह फैसला सुनाया और संबंधित फाइल सरकार को लौटा दी।

अब कांग्रेस सरकार के सामने दो ही रास्ते हैं — या तो Supreme Court का रुख करें, या फिर कोई वैकल्पिक रास्ता तलाशें। राज्य के Law and Parliamentary Affairs Minister HK Patil ने कानूनी सलाह लेने के लिए विशेषज्ञों से बैठक बुलाने की योजना बनाई थी, जिसे फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।

TOI की रिपोर्ट के अनुसार, legal experts ने सरकार को कोर्ट जाने से बचने की सलाह दी है और कहा है कि ऐसा कदम राजनीतिक और संवैधानिक रूप से उलझन पैदा कर सकता है।

कांग्रेस सरकार की रणनीति क्या होगी? आज CM Siddaramaiah के घर बैठक

सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार (30 मई) को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में एक high-level meeting बुलाई गई है जिसमें इस बिल के भविष्य पर चर्चा हो सकती है। बैठक में वरिष्ठ अधिकारी और कानूनी सलाहकार शामिल होंगे।

हालांकि यह मीटिंग official cabinet meet नहीं होगी, लेकिन यह तय मानी जा रही है कि मुस्लिम आरक्षण बिल को लेकर कांग्रेस सरकार का अगला कदम यहीं से तय होगा।

BJP ने जताई थी आपत्ति, Governor ने जताया था संविधान का हवाला

भाजपा पहले दिन से इस बिल का विरोध कर रही है। BJP का कहना है कि religion-based reservation संविधान के Article 15 और Article 16 का उल्लंघन है। वहीं, दूसरी बार जब Governor ने बिल को लौटा दिया तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला देते हुए लिखा:

“आरक्षण केवल सामाजिक और आर्थिक आधार पर ही दिया जा सकता है, न कि धार्मिक आधार पर।”

Governor ने साफ कहा कि वे बिल को दोबारा राष्ट्रपति के पास नहीं भेजेंगे और सरकार को उनकी पूर्व अनुमति के अनुसार फाइल क्लोज करने के निर्देश दिए।