“Surveillance नहीं, सिर्फ Speculation है” – UCC को लेकर धामी सरकार का जोरदार जवाब

उत्तराखंड सरकार ने Uniform Civil Code (UCC) के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर हाईकोर्ट में 78 पन्नों का विस्तृत counter affidavit पेश किया है। इस हलफनामे में राज्य सरकार ने साफ किया है कि Aadhaar Linking को लेकर जो “Surveillance” के आरोप लगाए गए हैं, वे पूरी तरह baseless और speculative हैं।

हलफनामे में खासतौर पर Live-in Relationship, Privacy Invasion, और Extra Territorial Applicability जैसे मुद्दों पर सरकार ने अपना रुख साफ किया है। सरकार का कहना है कि UCC का उद्देश्य नागरिकों को equal rights देना है, न कि उनकी निजता का हनन करना।


Privacy vs Governance: क्या Data Sharing उल्लंघन है?

राज्य सरकार ने privacy violation के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आधार से जुड़ी जानकारी को पूरी तरह से Data Protection Laws के अंतर्गत collect, manage और store किया जाता है। यूसीसी अधिनियम में डाटा को केवल “specific and lawful purpose” के लिए ही इस्तेमाल किया जाएगा।

हलफनामे में यह भी बताया गया है कि “केवल यह आशंका कि डेटा का misuse हो सकता है, ये मानने का आधार नहीं हो सकता कि सरकार की कार्रवाई illegal है।”


UCC Applicability: क्या Extra-Territorial है ये कानून?

कुछ याचिकाओं में UCC को extra-territorial law बताया गया है, जिस पर सरकार ने जवाब देते हुए कहा है कि – “यदि कोई व्यक्ति उत्तराखंड का resident है, तो उस पर यह कानून valid तरीके से लागू किया जा सकता है। यह कानून राज्य का हिस्सा है, न कि किसी दूसरे राज्य या देश पर थोपने का प्रयास।”


Live-in Relationships और Police Action: कौन तय करेगा सही या गलत?

UCC अधिनियम की धारा 385(2) को चुनौती दी गई है, जिसमें यह प्रावधान है कि यदि Live-in Relationship में किसी भी प्रकार का false information दिया जाता है, या रिश्ता prohibited category में आता है, तो Registrar संबंधित local police को action initiate करने की सूचना दे सकता है।

सरकार ने कहा कि “Reasonable Suspicion” और “Appropriate Action” जैसे शब्दों की व्याख्या कानून के दायरे में स्पष्ट है और इनका दुरुपयोग नहीं किया जा सकता। यह प्रक्रिया arbitrary नहीं बल्कि legally guided है।

Equal Rights vs Traditional Norms: UCC क्या लाया है नया?

राज्य सरकार का तर्क है कि UCC पुराने सामाजिक नियमों और परंपराओं की तुलना में नागरिकों को अधिक individual rights, legal clarity और equality before law प्रदान करता है। यह कानून gender-neutral और secular approach पर आधारित है, जो भारत के संविधान के मूल मूल्यों के अनुरूप है।


अगली सुनवाई कब है?

UCC से जुड़ी सभी याचिकाओं पर अब उत्तराखंड हाईकोर्ट में 22 अप्रैल को सुनवाई निर्धारित की गई है। गौरतलब है कि यह अधिनियम राज्य में 27 जनवरी 2024 से लागू किया गया था।