Harela Festival 2025: Why did CM Dhami say in Uttarakhand 'we have to repay the debt of Mother Earth'?
Uttarakhand में हरेला पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को देहरादून स्थित गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज परिसर में राज्यव्यापी पौधरोपण अभियान की शुरुआत की। यह कार्यक्रम “हरेला का त्योहार मनाओ, धरती मां का ऋण चुकाओ” (Celebrate Harela, Repay the Debt to Mother Earth) थीम पर आधारित था।
इस अवसर पर सीएम धामी ने सभी प्रदेशवासियों को Harela Festival 2025 की शुभकामनाएं दीं और Rudraksh Plant का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
Green Drive with Massive Target
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेला केवल एक local festival नहीं, बल्कि यह उत्तराखंड की संस्कृति (culture), प्रकृति (nature) और सामूहिक चेतना (environmental awareness) से जुड़ा एक गहरा भाव है। इस वर्ष हरेला पर्व पर 5 लाख पौधों (5 lakh saplings) को रोपित करने का ambitious target रखा गया है।
उन्होंने बताया कि Forest Department के प्रत्येक डिवीजन में 50% Fruit-Bearing Plants लगाने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए सरकार public participation, NGOs, student communities, Mahila Groups और Panchayats के सहयोग से इस Mega Plantation Campaign को सफल बना रही है।
पौधों की देखभाल है जरूरी
सीएम ने कहा कि पौधारोपण सिर्फ औपचारिकता नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह हमारा ethical responsibility है कि हम इन पौधों की नियमित देखभाल करें, जब तक वे पूर्ण रूप से पेड़ न बन जाएं। उन्होंने कहा कि Uttarakhand एक ecologically rich राज्य है और इसकी biodiversity की रक्षा करना हम सभी का सामूहिक कर्तव्य है।
सदियों पुरानी परंपरा
Agriculture Minister गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड में Shravan Maas में हरेला पूजन और वृक्षारोपण की परंपरा सदियों पुरानी है। यह परंपरा हमारी environmental values और cultural identity की प्रतीक है। हरेला केवल एक environment day नहीं, बल्कि यह हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
2,389 स्थानों पर मना हरेला
Forest Minister सुबोध उनियाल ने बताया कि इस वर्ष हरेला पर्व को उत्तराखंड के 2,389 locations पर मनाया जा रहा है। उन्होंने पिछले तीन वर्षों में रोपे गए पौधों का 80% survival rate बताते हुए इसे एक सफल प्रयास बताया। साथ ही उन्होंने गिरते groundwater level को एक serious concern बताया और जलधाराओं के संरक्षण (water resource conservation) के लिए निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया।