कश्मीर में अलगाववाद का अंत: दो संगठनों ने हुर्रियत से तोड़े सभी रिश्ते
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद का दौर अब इतिहास बन चुका है। जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) और डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट (DPM) जैसे संगठन, जो कभी अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के करीबी माने जाते थे, ने सार्वजनिक रूप से हुर्रियत और उसकी अलगाववादी विचारधारा से नाता तोड़ते हुए भारत के संविधान के प्रति निष्ठा जताई है।
गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम का स्वागत करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर कहा, “कश्मीर में अलगाववाद अब इतिहास बन चुका है... हुर्रियत से जुड़े दो संगठनों ने सभी रिश्ते खत्म करने की घोषणा की है।” शाह ने इस कदम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित, शांतिपूर्ण और एकीकृत भारत के विजन की बड़ी जीत बताया।
JKPM के चेयरमैन शाहिद सलीम ने बयान जारी करते हुए कहा कि उनका संगठन या वे खुद “ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की विचारधारा के प्रति कोई सहानुभूति नहीं रखते, क्योंकि इसने जम्मू-कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं और समस्याओं का समाधान नहीं किया है।”
DPM के वरिष्ठ नेता और अधिवक्ता मोहम्मद शफी रेशी ने भी हुर्रियत के गिलानी गुट से अपने सभी संबंध खत्म करने की बात कही। रेशी, जो 2018 में DPM के चेयरमैन के रूप में हुर्रियत (जी) और अन्य अलगाववादी संगठनों से दूरी बना चुके थे, ने खुद को “भारत के संविधान के प्रति पूरी तरह से वफादार भारतीय नागरिक” बताया।
अमित शाह ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा, “भारत की एकता को मजबूत करने की दिशा में यह एक अहम कदम है। मैं सभी संगठनों से अपील करता हूं कि वे अलगाववाद को हमेशा के लिए छोड़कर भारत के विकास और शांति की यात्रा में शामिल हों।”