Dehradun Flood: अवैध खनन और बारिश ने छीनी 15 श्रमिकों की जान, प्रशासन और खनन विभाग मौन

देहरादून जिले के पछवादून क्षेत्र (Pachwadoon Area) में वर्षाकाल (monsoon) के दौरान अवैध खनन (illegal mining) ने श्रमिकों के जीवन को संकट में डाल दिया है। यमुना, आसन, स्वारना, टॉस और शीतला नदियों में रोजाना ट्रैक्टर-ट्रॉली और श्रमिकों को उतारा जा रहा है।

दैनिक जीवन के लिए मजबूर श्रमिक, दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए, खतरनाक नदी तल (riverbeds) में उतर रहे हैं। जब अचानक जलस्तर बढ़ता है, तो कई बार नदी के बीच फंसकर उनकी जान खतरे में पड़ जाती है। एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें ऐसे फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए सक्रिय रहती हैं।

वर्षाकाल में खनन: खतरा बढ़ा

विकासनगर, सहसपुर, सेलाकुई के इलाकों में वर्षाकाल में नदियों में खनन जारी है।

विकासनगर में यमुना नदी, सहसपुर में आसन, शीतला और टोंस नदी, सेलाकुई में स्वारना नदी में रोजाना ट्रैक्टर-ट्रॉली उतारे जाते हैं।

अचानक पानी बढ़ने पर श्रमिक और ट्रैक्टर फंस जाते हैं, जिससे उनकी जान खतरे में पड़ती है।

हालिया हादसे

1. विकासनगर, यमुना नदी (जुलाई):

जुड्डो बांध से अचानक पानी छोड़ने के बाद एक ट्रैक्टर-ट्रॉली और 11 श्रमिक यमुना नदी में फंस गए। एसडीआरएफ और पुलिस ने सभी को बचा लिया।

2. प्रेमनगर, आसन नदी:

कुछ श्रमिक नदी की तेज धारा में बह गए। आठ श्रमिकों की जान चली गई।

3. परिवार की त्रासदी:

मंगलवार को यूपी के मुरादाबाद जिले के मुंडिया जैन गांव के परिवार पर आपदा टूटी। ट्रैक्टर-ट्रॉली सहित हरचरण, उनकी पत्नी सोमवती, बेटा हरिराम और राजकुमार नदी में बह गए।

शव मिले: हरचरण और सोमवती

लापता: हरिराम और राजकुमार

प्रशासन और खनन विभाग का मौन

लगातार वर्षाकाल में नदियों में अवैध खनन के मामले सामने आ रहे हैं।

श्रमिक फंस रहे हैं और जान जोखिम में डाल रहे हैं, लेकिन प्रशासन और खनन विभाग सक्रिय नहीं हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना एक बड़ा सबक है, और ऐसे खतरनाक कार्यों पर सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।