उत्तराखंड में इस मानसून में तेज बारिश और बादल फटने (cloudburst & heavy rain) के कारण न केवल मानव बस्तियों में नुकसान हुआ है, बल्कि जंगलों (forests) और वन्यजीवों (wildlife) की जिंदगी भी संकट में है। बाघ (tiger), तेंदुए (leopard), हाथी और अन्य वन्य प्राणी उफनती नदियों और नालों के बीच अपनी जान गंवा रहे हैं।
प्राकृतिक आपदा ने जंगल में मातम का माहौल पैदा कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक आए मामलों में यह पता लगाना जरूरी है कि वन्य जीवों की मौत प्राकृतिक आपदा के कारण हुई या अन्य कारण भी शामिल हैं।
वन्यजीवों पर बारिश का असर: प्रमुख मामले
केस 1 – तेंदुआ, बाजपुर:
चार सितंबर को बाजपुर के लेवड़ा नदी में तेंदुआ घायल अवस्था में मिला। शरीर पर चोट के निशान थे, माना जा रहा है कि बाढ़ में बहने से चोट लगी।
केस 2 – हाथी का बच्चा, कोटद्वार:
छह सितंबर को कोटद्वार के पास मालन नदी में हाथी का बच्चा बह गया। वनकर्मियों ने रेस्क्यू कर उसे झुंड के पास सुरक्षित पहुंचाया।
केस 3 – तेंदुआ, टनकपुर:
नौ सितंबर को चंपावत जिले के टनकपुर में बरसाती नाले में तेंदुए का शव मिला। शुरुआती अनुमान के अनुसार, नाले में बहने से मौत हुई।
केस 4 – बाघ, रामनगर:
आठ सितंबर को रामनगर वन प्रभाग के कालाढूंगी चकलुआ बीट में सात वर्ष के बाघ का शव नाले में मिला। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि घायल या उम्रदराज बाघ प्राकृतिक आपदा का सामना नहीं कर पाते और बहकर मौत हो जाती है।
वीडियो और दृश्य: जंगल में संकट
कार्बेट टाइगर रिजर्व से सटी कोसी नदी में हिरण और हाथियों के फंसने का वीडियो सामने आया।
तीन सितंबर को कोसी नदी के टीले पर पाँच हिरण फंस गए, जिन्हें बाद में बचाया गया।
चार सितंबर को रामनगर वन प्रभाग में मोहान के पास दो हाथियों को बहने से बचाया गया।
विशेषज्ञों की राय
दीप रजवार, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर:
“दैवीय आपदा से वन्यजीवों पर सबसे अधिक असर सरीसृप और उम्रदराज बाघ, तेंदुओं पर पड़ता है। घायल अवस्था में जानवर आपदा से पार नहीं पा पाते।”
रंजन कुमार मिश्रा, PCCF Half Wildlife:
“मानसून के दौरान वन्यजीवों के वासस्थल प्रभावित होते हैं और उनकी मौत की आशंका रहती है। अभी तक ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है जिसमें वन्यजीवों की मौत दैवीय आपदा से मानी गई हो।”