दो महीने में 97 बच्चे हुए लापता: क्या सोशल मीडिया बच्चों के लिए सुरक्षित है?

राजधानी देहरादून में नाबालिग बच्चों (minor children) के गुमशुदा होने की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। दो महीने के भीतर शहर में 97 बच्चे लापता (missing children) हुए, जिनमें से 87 को पुलिस ने सुरक्षित ढूंढ निकाला। पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि इन मामलों में सोशल मीडिया (social media platforms) की अहम भूमिका है।

Social Media और बच्चों की सुरक्षा

पुलिस के अनुसार फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बच्चे अजनबियों से संपर्क बनाते हैं। कई नाबालिग बिना घरवालों को बताए मुलाकात के लिए निकल जाते हैं और इसी दौरान लापता हो जाते हैं। इस प्रकार सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल बच्चों के लिए गंभीर खतरा बन गया है।

लड़कियों की संख्या अधिक

शहर के पुलिस थानों में दर्ज रिपोर्टों के अनुसार, अधिकतर लापता बच्चों की उम्र 10 से 17 साल के बीच है। गुमशुदा बच्चों (missing minors) में लड़कियों की संख्या अधिक है। जांच में पता चला कि गुमशुदगी के प्रमुख कारण हैं:

घरवालों से नाराज़गी

स्वतंत्र घूमने की इच्छा

सोशल मीडिया पर नए संपर्क

इन 97 बच्चों में से 62 बच्चे घरवालों से नाराज़ होकर चले गए, 24 बच्चे बिना बताए घूमने निकले, और 11 नाबालिगों को अजनबियों ने बहला फुसलाकर अपने साथ ले गया। पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ मुकदमा (FIR) दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया।

स्कूलों और सड़क सुरक्षा में कमी

पुलिस का कहना है कि स्कूलों के बाहर सुरक्षा व्यवस्थाएं भी कमजोर हैं। अक्सर स्कूल छूटने के समय छात्राओं को सड़क पर परेशान किया जाता है। गश्त की कमी और असामाजिक तत्व बच्चों की सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं।

साझा जिम्मेदारी जरूरी

पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए स्कूल प्रशासन (school authorities), पुलिस और अभिभावकों को मिलकर कदम उठाने होंगे। स्कूलों में सुरक्षा कड़ी करनी होगी, पुलिस गश्त बढ़ाए और साइबर मॉनिटरिंग (cyber monitoring) पर जोर दे। बच्चों की सुरक्षा के लिए यह साझा जिम्मेदारी बेहद जरूरी है।